कॉर्पोरेट वर्ल्ड

मोदी राज में मुकेश अंबानी समेत इन कारोबारियों के आए अच्छे दिन, लेकिन अनिल अंबानी का निकला दिवाला

मोदी सरकार के कार्यकाल में मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ सबसे अधिक फायदा।
बीते पांच सालों में अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ी है कंज्यूमर कंज्म्पशन डिमांड।
कर्ज के बोझ में डूबी व खराब कैशफ्लो वाली कंपनियों को हुआ सबसे अधिक नुकसान।

Mar 25, 2019 / 10:48 pm

Ashutosh Verma

मोदी राज में मुकेश अंबानी समेत इन कारोबारियों के आए अच्छे दिन, लेकिन अनिल अंबानी का निकला दिवाला

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में रिटेल फाइनेंस व कंज्यूमर बिजनेस समूहों की बाजार पूंजीकरण में जाेरदार तेजी देखने को मिली। जबकि, पावर, मेटल और टेलिकाॅम सेक्टर जैसे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मोदी राज में घाटे का सामना करना पड़ा है। बीते पांच सालों में सबसे सफलतम बिजनेस समूहों की बात करें तो इस चार्ट में राहुल बजाज की नेतृत्व वाली बजाज ग्रुप सबसे शीर्ष पर रही है। वहीं, इस लिस्ट में हिंदुजा ग्रुप, मुकेश अंबानी , मुरुगप्पा और अडानी समूह शीर्ष पांच में शामिल हैं।

बीते पांच साल में इन कंपनियों का खराब रहा सीएजीआर

वहीं दूसरी तरफ, अनिल अंबानी , नवीन जिंदल और सन फार्मा इंडस्ट्रीज समूहों की कुल बाजार पूंजीकरण में बीते पांच साल के दौरान सबसे अधिक गिरावट आई है। इनके अतिरिक्त, सुनील मित्तल की भारती ग्रुप, पवन मुंजाल की हीरो मोटोकॅर्प भी इस फेहरिस्त में शामिल है। एक अंक में कंपाउंड एन्युअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) दर्ज करने वाली अन्य कंपनियों में टाटा, आदित्य बिड़ला, वेदांता और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं। विश्लेषकों का कहना है कि बीते पांच सालों में कंज्यूमर डिमांड बढ़ने की वजह से कुछ कंपनियों की ग्रोथ काफी तेज रही है।

अर्थव्यवस्था में बढ़ा है कंज्यूमर कंज्म्पशन डिमांड

एमके ग्लोबल रिसर्च सर्विसेज के रिसर्च हेड धनंजय सिन्हा ने कहा, “बीत पांच सालों में, रिटेल क्रेडिट और सरकार द्वारा उच्च राजस्व खर्च की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था में कंज्म्पशन डिमांड बढ़ी है।” बजाज समूह में सबसे अधिक तेजी का कारण बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व में तेजी रही है। 22 मार्च 2019 तक इस समूह का बाजार पूंजीकरण चार गुना बढ़कर 26 मई 2014 की तुलना में 1 ट्रिलियन रुपए से बढ़कर 4.08 ट्रिलियन रुपए हो गया है। पांच सालों में कंपनी की वार्षिक ग्रोथ रेट 32.4 फीसदी रही है।

सपाट रहा इंडिया इंक का मुनाफा

समूह की एक और फ्लैगशिप कंपनी बजाज ऑटो का मार्केट कैप 50 फीसदी रह गया है जिसकी वार्षिक ग्रोथ रेट 8.8 फीसदी रही। इस प्रकार हिंदुजा ग्रुप में सबसे अधिक ग्रोथ इंडसइंड बैंक और अशोका लेलैंड में देखने को मिली। कुल मिलाकर देखें तो गत 5 सालों में इंडिया इंक का कुल मुनाफा लगभग सपाट ही रहा है। वित्त वर्ष 2013-14 और 2018-19 के बीच इंडिया इंक का सीएजीआर 2.6 फीसदी ही रही है। इस दौरान कंपनियों के राजस्व में सालाना तौर पर 4.6 फीसदी की तेजी रही।

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प्राइवेट सेक्टर में सबसे अधिक निवेश करने वाली इकलौती कंपनी है रिलायंस इंडस्ट्रीज

मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में टाटा कंस्लटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को बाजार पूंजीकरण के मामले में पीछे छोड़ा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज बीते पांच सालों में प्राइवेट सेक्टर में सबसे अधिक निवेश करने वाली इकलौती कंपनी है। बाजार पूंजीकरण के मामले में जेएसडब्ल्यू स्टील ने टाटा स्टील को पीछे छोड़कर देश की सबसे बड़ी स्टीलमेकर कंपनी बन गई है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर में अडानी ग्रुप देश की सबसे बड़ी पोर्ट ऑपरेटर व इलेक्ट्रिसिटी यूटिलीट ऑपरेटर बनकर उभरी है। हालांकि, कपंनी की बाजार पूंजीकरण की तुलना में मुनाफा व राज्सव कुछ खास नहीं रहा।


85 फीसदी तक कम हुआ अनिल अंबानी की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण

स्पेक्ट्रम की बात करें तो अनिल अंबानी समूह की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 85 फीसदी तक कम हुआ है। नवीन जिंदल की फर्म ने भी 40 फीसदी बाजार पूंजीकरण गवांया है। कुल मिलाकर एक बात तो साफ हो गई है कि बीते पांच सालों में कंज्यूमर कंपनी व रिटेल लेंडर्स ने बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं, कर्ज व खराब कैशफ्लो पदर्शन करने वाली कंपनियों ने निराशाजनक प्रदर्शन किया है।

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