नई दिल्ली। सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में संशोधन समेत कई तरह के उपाय कर रही है लेकिन नीति आयोग की सुस्ती के चलते इस मुहिम को झटका लग सकता है। उसे एमएसपी के तहत सरकारी खरीद का व्यावहारिक मॉडल सुझाना था लेकिन वह तय समय में ऐसा नहीं कर पाया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में घोषणा की थी कि सरकार किसानों से संशोधित एमएसपी पर उनकी पैदावार की खरीद करेगी, जो उत्पादन खर्च का डेढ़ गुना होगा। केंद्र ने इसके लिए नीति आयोग से खाका तैयार करने को कहा था। हालांकि, अब तक वह कोई मॉडल नहीं सुझा पाया है। उसने मध्य प्रदेश मॉडल या अन्य कोई मॉडल, जिसे राज्य चुनना चाहें, की बात कहकर इसे टालने की कोशिश की है। कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि नीति आयोग से ऐसी उम्मीद नहीं थी।
निजी हाथों में देने की वकालत पहले नीति आयोग ने इस कार्य को निजी हाथों में देने की वकालत की थी। लेकिन प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के कई सदस्यों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। साथ ही नीति आयोग को 31 मार्च तक इससे अच्छा मॉडल पेश करने को कहा था।
राज्यों को स्वयं चुनना होगा मॉडल नीति आयोग के फेल होने के बाद अब राज्यों को स्वयं ही कोई न कोई एमएसपी मॉडल चुनना होगा। यह सरकार के लिए निराशाजनक है जो किसानों को एमएसपी का लाभ देने के लिए राज्यों के साथ 25 हजार करोड़ रुपए तक खर्च करने को तैयार है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। हम इसे राज्यों पर छोड़ रहे हैं।
एमएसपी से नीचे बेचने को मजबूर किसान कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई राज्यों में किसान एमएसपी से नीचे अपनी पैदावार बेचने के लिए मजबूर हैं। इस माह की शुरुआत में किसानों के संगठन जन किसान आंदोलन ने एमएसपी की जमीनी हकीकत सामने लाने के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसमें किसान संगठन एमएसपी अलर्ट नाम से सोशल मीडिया में विभिन्न इलाकों की रिपोर्ट प्रसारित कर रहे हैं।