आयोग ने पाया है कि इन 8 इकाइयों का दोबारा नहीं चलाया सकता है। इस मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है, ” आठ इकाइयां उन 74 नुकसान में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से हैं, जिनकी पहचान नीति आयोग ने बंदी या बिक्री के लिए की है। ”
सूत्रों के मुताबिक एक बार पीएमओ द्वारा इस प्रस्ताव को सैद्धान्तिक मंजूरी मिलने के बाद संबंधित मंत्रालय इन इकाइयों को बंद करने के लिए विस्तृत योजना बनाएंगे। इन विस्तृत योजनाओं में बेची जाने लायक परिसंपत्तियों की पहचान और इन आठ कंपनियों के कर्मचारियों के लिए मुआवजा देना भी शामिल रहेगा।
बताया जा रहा है कि इन कंपनियों को बंद करने की योजना केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी जाएगी ताकि इन कंपनियों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके। इससे पहले प्रधनमंत्री कार्यालय ने नीति आयोग से कहा था कि वह ऐसे मामलों में आगे बढ़ने से पहले बिक्री आदि से जुड़ी विस्तृत प्रक्रिया के साथ-साथ बीमार सार्वजनिक उपक्रम की पहचान करें।
आयोग ने सरकार को बीमार और घाटे में जा रही पीएसयू की दो अलग-अलग सूचियां सौंपी हैं। बीमार कंपनियों को बंद करने और घाटे में जा रही कंपनियों के विनेवश का प्रस्ताव है। आयोग पीएसयू के योजनाबद्ध बिक्री और निजीकरण की प्रक्रिया भी तय कर रहा है। इस संदर्भ में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016-17 के अपने बजट भाषण में कहा था कि आयोग पीएसयू के योजनाबद्ध बिक्री और निवेश पर विचार करेगा।