अगले साल पूरा होगा गुजरात में विस्तारीकरण
यह पूछे जाने पर कि भारतीय वाहन और ऑटो बाजार में मंदी का मौजूदा दौर कब तक चलेगा, उन्होंने कहा, ‘यह किसी को नहीं पता। हमारी कंपनी और अन्य ऑटो कंपनियां अपना बेहतरीनतम प्रयास कर रही हैं पर यह कोई नहीं जानता की मंदी का मौजूदा दौर दरअसल कब तक चलेगा।’ ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में कंपनी के गुजरात संयंत्र के विस्तारीकरण परियोजना के बारे में पूछे जाने पर आयुकावा ने कहा कि इसकी तीसरी इकाई का निर्माण का शुरू है जो अगले साल पूरा होगा और इसके जरिये उत्पादन भी शुरू हो जाने की संभावना है।
पाट्र्स के स्थानीयकरण नीति पर जोर
इससे संयंत्र की उत्पादन क्षमता मौजूदा पांच लाख इकाई से बढ़ कर साढ़े सात लाख इकाई हो जायेगी। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने पार्ट्स के उत्पादन के मामले में स्थानीयकरण यानी लोकेलाइजेशन की नीति पर जोर दिया और इसे मंदी के दौर से निपटने और लागत खर्च को कम करने की चाबी करार दिया। उन्होंने गुजरात सरकार की नीतियों की सराहना भी की। बिजली अथवा बैटरी चालित वाहनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसे वाहन जरूर मौजूदा मॉडलों के लिये चुनौती होंगे पर इनके बाजार में बड़े पैमाने पर आने में अभी पांच से दस साल का समय लगेगा।
वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में कंपनी को घाटा
देश के यात्री कार बाजार में अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड पर वाहन उद्योग में छाई मंदी का असर पड़ा है। कंपनी के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के परिणामों में एकल खरा मुनाफा पिछले साल की इसी अवधि के 2015 करोड़ रुपए की तुलना में 31.67 प्रतिशत की भारी गिरावट से 1376.80 करोड़ रुपए रह गया। वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में मारुति सुजुकी का मुनाफा 27.3 फीसदी घटकर 1,435.5 करोड़ रुपये रहा है। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में मारुति सुजुकी का मुनाफा 1,975.3 करोड़ रुपये रहा था। वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में मारुति सुजुकी की आय 12.2 फीसदी घटकर 19,720 करोड़ रुपये रही है। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में मारुति सुजुकी की आय 22,459 करोड़ रुपये रही थी। सालाना आधार पर पहली तिमाही में मारुति सुजुकी का एबिटडा 3,351 करोड़ रुपये से घटकर 2,048 करोड़ रुपये और एबिटडा मार्जिन 14.9 फीसदी से घटकर 10.4 करोड़ रुपये रहा है।