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इससे पहले भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों ने वैश्विक न्यूनतम कर के प्रति आपत्ति जताई थी। अब सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने की कोशिश करेगी कि उनके देशों में जिनके मुख्यालय हैं, वह न्यूनतम 15 फीसदी की दर से कर का भुगतान करें। यह भी पढ़ें
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सालाना अतिरिक्त करअमरीका के पांच फीसदी के वैश्विक न्यूनतम कर के प्रस्ताव पर जिन देशों ने सहमति जताई हैं, उनमें G-20 देश भी शामिल हैं। इससे देशों को 150 अरब डॉलर अतिरिक्त कर मिलेगा।
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नई कर व्यवस्था के दो पहलूनई कर व्यवस्था के दो पहलू हैं। पहला, दुनियाभर के देशों को अपने यहां कारोबार करने वाली कंपनियों पर समुचित कर लगाने का अधिकार मिलेगा। दूसरा, करदाताओं का आधार बनाए रखने के लिए कॉरपोरेट कर की दम कम रखने की होड़ नहीं मचेगी।
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भारत ने कहा, अक्टूबर तक बन सकती है सहमतिवैश्विक न्यूनतम कर पर भारत ने कहा है कि मुनाफा आवंटन में हिस्सेदारी और नियम सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दे हल किया जाना बाकी है। प्रस्ताव के तकनीकी विवरण आने के बाद इस पर अक्टूबर तक सहमति बन सकती है। भारत सहज और सरल तरीके का समाधान चाहता है।