लेकिन इन लोगों तक पैसा पहुंचाने में अधिकारियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल अससंगठित क्षेत्र से आने वाले इन लोगों में कई का रजिस्ट्रेशन ही नहीं है जिसकी वजह से इन तक पैसा पहुंचाना टेढ़ी खीर हो चुका है ।
दरअसल हमारे यहां ज्यादातर छोटे दुकानदार सालों से काम तो कर रहे हैं लेकिन सरकार के पास इनका कोई हिसाब नहीं है जिसकी वजह से इनकी पहचान करना बेहद मुश्किल भरा हो रहा है।
इसके अलावा ये लोग ज्यादातर 3-7 दिनों के बफर हिसाब से काम करते हैं ऐसे में कुछ दिनों के बाद इन लोगों का अपने यहां काम करने वालों को पैसा देना तो दूर खुद के लिए सामान जुटाना भी मुश्किल भरा हो जाता है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उनके पास इन लोगों से संबंधित डेटा 2012 का है जिसमें अब तक काफी परिवर्तन आ चुका होगा। 2012 के NSSO के आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में लगभग 82.7 फीसदी कामकाजी जनता असंगठित क्षेत्र में काम करती है । यानि कि करीब 40 लाख लोग इस क्षेत्र के लिए काम करते हैं। जबकि National Statistical Commission की रिपोर्ट के मुताबिक असंगठित क्षेत्र के मजदूर 48-57 फीसदी तक है जिसके हिसाब से इस क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या आधी रह जाएगी।
वहीं दूसरी समस्या खुद स्टेट्स के पास फंड की है। राज्यों के पास फंड न होने की वजह से भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।