कारोबार

कर चोरों ने निकाला GST का तोड़, एक जोड़ी जूते को अलग-अलग बेच रहे दुकानदार

एक जुलाई से जीएसटी लागू तो हो गया है, मगर दुकानदार इससे बचने के लिए इसकी अजीबो-गरीब तोड़ भी निकाल रहे हैं।

बेमेतराJul 09, 2017 / 07:38 am

Abhishek Pareek

एक जुलाई से जीएसटी लागू तो हो गया है, मगर दुकानदार इससे बचने के लिए इसकी अजीबो-गरीब तोड़ भी निकाल रहे हैं। जैसे कि जीएसटी से बचने के लिए कई दुकानदार एक जोड़ी जूते को अलग-अलग कर बेच रहे हैं और इसके लिए दो अलग-अलग बिल भी बना रहे हैं। सीए और जीएसटी एक्सपर्ट संगीत गुप्ता ने बताया कि दुकानदार पुराने स्टॉक पर यह खेल कर रहे हैं। इससे देश का नुकसान हो रहा है। 
इसी तरह से एक वस्त्र विक्रेता टुपट्टे को सलवार सूट से अलग बेच रहा है। बरसों तक बासमती चावल बेचने वाली कंपनी ने विज्ञापन देकर अपना ब्रांड बनाया और अब उसने अपना ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन वापस लेने की तैयारी कर ली है। इस कंपनी ने व्यापारियों को बिना ट्रेडमाक्र्स वाले ब्रांड पर टैक्स छूट लेने का दावा भी करने को कहा है। 
‘जीएसटी रेट फाइंडर’ एप

जीसटी की विभिन्न दरों को लेकर ऊहापोह दूर करने के लिए सरकार ने मोबाइल एप लांच किया है। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से लांच ‘जीएसटी रेट फाइंडर’ नाम के एप में वस्तुओं एवं सेवाओं पर दरों की पूरी लिस्ट दी गई है।
विदेशी नोट महंगे!

जीएसटी लागू होने के बाद विदेश जाना अब और भी महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि विदेश जाने से पहले आप जो विदेशी नोट खरीदते हैं, उसके लिए अब आपको ज्यादा पैसे देने होंगे। दरअसल, अगर सरकार ने कस्टम विभाग के पक्ष में फैसला दिया तो विदेशी मुद्रा के आयात पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। बैंकों ने सरकार से इस पर छूट की मांग की है। बैकों का कहना है कि सरकार के अनिर्णय की स्थिति में बंदरगाहों पर विदेशी मुद्रा के बहुतेरी खेप फंसी हुई है। कस्टम एक्ट के तहत बैंक और रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा मंगाते हैं।
मॉल्स पर अफसरों की नजर

जीएसटी को सही तरह से लागू कराने और जीएसटी से होने वाले फायदों को जनता तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े अधिकारियों को काम पर लगा दिया है। अफसरों को छोटे से बड़े शहरों में तैनात कर दिया है। ये अफसर अब कारोबारियों, थोक और खुदरा माल विक्रेताओं के चक्कर लगा रहे हैं। करीब 200 सीनियर आईएएस, आईआरएस अपने इलाके में जरूरी वस्तुओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने में जुटे हैं।
नई व्यवस्था का ये हुआ असर

परेशानियां

– नई कर व्यवस्था को लागू करने के ऊहापोह के चलते माल की ढुलाई पर असर पड़ा

– टैक्स रिटर्न के दाखिले के लिए नई कर व्यवस्था के मुताबिक, सीए फर्म के समक्ष बड़ी चुनौती
– सैनिटरी नैपकिन पर 18 फीसदी टैक्स से आलोचकों के निशाने पर सरकार, वाई-फाई के रेट में बढ़ोतरी

सहूलियतें

– कई राज्यों में चुंगी, बिक्री कर और कई अन्य वसूली केंद्र खत्म हो गए हैं। वस्तुओं और वाहनों का आवागमन आसानी से होने लगा है।
– कॉलेजों में अब जीएसटी को लेकर नए पाठ्यक्रम, नए कॉमर्स ग्रेजुएट की डिमांड रहेगी।

– रेस्तरां के बिल में कमी आएगी। कई तरह के टैक्स खत्म होंगे।

18 फीसदी की जगह 10 फीसदी ही दे रहे जीएसटी
500 रुपए से कम के फुटवेयर पर 5 फीसदी जीएसटी लगाया गया है जबकि उससे अधिक कीमत के फुटवेयर पर 18 फीसदी टैक्स लगाया गया है। 

ऐसा क्यों

पुराने स्टॉक पर टैक्स बचाने के लिए यह हो रहा है। ताकि उन्हें 18 प्रतिशत टैक्स न चुकाना पड़े। 
यदि एक जोड़ी जूते की कीमत 900 रुपए है तो वे अलग-अलग 450-450 रुपए के बिल बना रहे। इस पर उन्हें 10 फीसदी ही टैक्स देना पड़ रहा है। इस तरह चेन्नई के कुछ दुकानदार 8 फीसदी टैक्स बचा रहे हैं।
ग्राहक का क्या 

ग्राहकों को फौरी तौर पर फायदा, पर इससे देश को नुकसान है। आप इसे रोकें। 

महंगी हुई वस्तुओं को जून का स्टॉक बता रहे दुकानदार

एक टैक्स अधिकारी ने बताया कि जीएसटी की वजह से महंगी हुई जिन वस्तुओं की बिक्री जुलाई स्टॉक से हो रही है, रिटेलर्स उन्हें जून के स्टॉक का बता रहे है और जून स्टॉक की सस्ती हुई वस्तुओं की बिक्री को वो जुलाई स्टॉक का बता रहे हैं।
कपड़ों पर ऐसे बचा रहे टैक्स… 1,000 रुपए से कम कीमत के अपैरल्स पर 5 फीसदी जीएसटी तय किया गया और उससे अधिक की कीमत पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। इन्हें दो हिस्सों में बेचें तो इस पर टैक्स बचा रहे हैं।

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