श्रमिकों की हृदय विदारक स्थिति को लेकर गुरुवार को राजस्थान पत्रिका के सवाल पर श्रम मंत्री बोले, मैं 10 दिसम्बर को मंत्री बना था। मामला मेरे विभाग से जुड़ा है, श्रमिकों का कोई प्रतिनिधि मुझसे मिलने नहीं आया। न ही मामला मेरी जानकारी में है। आज पहली बार आपसे मामले का पता लगा है। मामला मेरे विभाग का है तो प्रभावितों को मुझसे मिलने आना चाहिए। अब पता चला है तो कल किसी अधिकारी को भेजकर पड़ताल कराता हूँ ।
भड़क गए उद्योग मंत्री राजपाल राजस्थान पत्रिका ने उद्योग मंत्री राजपाल सिंह शेखावत से भी सवाल किए। बोले, जांच कर रहे हैं। 17 साल से जांच चल रही है? इस पर शेखावत भड़क गए। बोले, मैं 17 साल से मंत्री नहीं हूं। पत्रिका को उन्होंने कुछ कागजात भेजे, जिनमें 17 वर्षों में हुई ‘कार्यवाही’ का जिक्र है।
इसमें जिन पंक्तियों को शेखावत ने अंडरलाइन किया, 2001 में कंपनी बंद होने से लेकर जीनस के करार व सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2016 के आदेश के कुछ अंश हैं। जिक्र है कि कंपनी को सरकार को एक करोड़ देने थे, शेष राशि श्रमिकों की दी जानी थी।
छुपा गए श्रमिकों की राशि उद्योग मंत्री ने जो कागजात भेजे, उनमें सरकार को दी जाने वाली राशि का तो उल्लेख है मगर श्रमिकों की राशि का कोई जिक्र नहीं है। 700 पर संकट
इधर, जयपुर मैटल श्रमिकों की हकीकत हृदय विदारक है। धरने पर बैठे श्रमिकों में से आए दिन कोई न कोई चेहरा खो रहा है। हाल ही दो लोगों की मौत हो गई थी। अब भी 700 से अधिक लोग जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। मानसिक अवसाद में आए लोगों के पास इलाज तक के पैसे नहीं हैं।