उस समय चिंता सता रही थी कि अपहर्ताओं के पास हथियार न हो। हालांकि अपहर्ता ने खाना दिया लेकिन खाया नहीं क्योंकि डर था कि उसमें जहर न हो। आभास हो गया था कि वे किसी भी तरह से उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हैं। उनका मकसद अपना पैसा निकालना है। बाद में अपहर्ता गिरफ्तार हुए फिर जमानत पर रिहा हो गए। इस मामले को लेकर इन्होंने कोई दबाव नहीं बनाया क्योंकि उन्होंने इन्हें किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया था। हालांकि इस घटना के बाद इनका परिवार डरा हुआ है और लगातार इस पेशे को छोडऩे को कह रहा है।
कोर्ट ने इन्हें बर्बाद हो चुकी कंपनियों को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी दी है। बिचौलिए अब ऐसे लोगों का बीमा करा रहे हैं और उन्हें स्वास्थ्य से लेकर सडक़ दुर्घटना का रिस्क कवर दे रहे हैं। इटली के बाद भारत दूसरी सबसे खराब अर्थव्यवस्था वाला देश है। मोदी सरकार बैंकिंग प्रणाली को दुरुस्त करने में लगी है। इससे खस्ताहाल कॉर्पोरेशंस में जान आएगी जो देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम करेंगे। भारत का दिवालियापन कानून २०१६ में लागू हुआ था जिसे एक दिवालियापन पेशेवर की जरूरत है जो कंपनी के लिए नौ महीने के भीतर पुनर्भुगतान की योजना बना सके।
इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी ऑफ इंडिया (आइबीबीआइ) भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड के चेयरमैन एम.एस साहू बताते हैं कि कंपनी कोर्ट ने पुलिस से ऐसे लोगों की मदद करने के लिए कहा है। इनसॉलवेंसी कंपनी में शुरुआती दौर में काम करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण होता है और मन भी चिंतित रहता है। हालांकि कामगारों को आस रहती है कि उनकी फैक्ट्री दोबारा शुरू होगी और रोजगार मिलेगा। जिन कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है वे अपना पैसा इन्हीं से मांगते हैं। सबसे अधिक परेशानी उस कंपनी के लिए काम करना होता है जिसका काम पूरी तरह से बंद हो चुका है।