आपको बता दें कि इस फर्म के ऑडिट और ट्रांसपरेंसी के दायरे में लाने के ले कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखकर इस फंड में जमा हुई पूरी धन राशि को प्रधानमंत्री राह कोष में ट्रांसफर करने की बात कही थी। ताकि इस फंड के पैसे का कुशलतासे इस्तेमाल होने के साथ उसके बारे में ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलटी बन सके। श्रीमती गांधी ने इस फंड को ऑडिट के दायरे में लाने की वजह से ये मांग रखी थी।
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हालांकि सोनिया गांधी की मांग को सरकार ने मानने से इंकार कर दिया है लेकिन अब इस फंड का ऑडिट कराने की बात कही जा रही है। भले ही सरकार इसका ऑडिट करने जा रही हो लेकिन ऑडिट फर्म के चुनाव पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो सकते हैं। दरअसल इसके ट्रस्टी ही ऑडिट फर्म का चुनाव करेंगे और इसके ट्रस्टियों में खुद पीएम मोदी शामिल हैं ऐसे में ऑडिट कितना भरोसेमंद होगा ये बात आसानी से विरोधियों के गले नहीं उतर सकती।
इसके पहले वाम दलों ने इस फंड के डोनेशन की रसीद न मिलने की बात उठी थी। इसके अलावा पीएम केयर्स फंड डोनेशन को सीएसआर के दायरे में लाया गया है । यानि इसमें डोनेशन देने पर टैक्स में छूट मिलती है लेकिन मुख्यमंत्री राहत कोष के साथ ऐसा नहीं है इसको लेकर भी सत्ताधारी पार्टी पर निशाना साधा गया था ।