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राजस्थान के किसानों की चांदी: गेहूं के बाद अब जीरे के दामों में भी तेजी, जून में छू सकते हैं रिकॉर्ड स्तर

मौजूदा वर्ष में कमोडिटीज के दाम आसमान छू रहे हैं। कच्चे तेल के ही नहीं, गेहूं और जीरे के दाम भी रिकॉर्ड स्तर के करीब बने हुए हैं। उतार – चढ़ाव के बाद इसके दामों में आगे भी तेजी के आसार हैं।

May 05, 2022 / 03:13 pm

Swatantra Jain

cumin crop: जीरे की बिजाई कमजोर, उत्पादन 40 फीसदी घटा

राजस्थान की प्रमुख फसल जीरा उत्पादक (Cumin crop Rajasthan) किसानों के भी इस साल अच्छे दिन आने के आसार हैं। गेहूं के रिकॉर्ड दामों के बाद इस बार जीरे के दाम भी रिकॉर्ड स्तर छूने के आसार हैं। बता दें, बुआई का कम रकबा होने और अधिक वर्षा के कारण फसल को नुकसान होने से जीरा की कीमतें फसल सत्र 2021-2022 में 30-35 प्रतिशत तक बढ़कर रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती हैं। क्रिसिल रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि उपज कम होने से जीरा के भाव रिकॉर्ड स्तर तक जा सकते हैं और हाजिर बाजार में इसके दाम 275 का स्तर जल्द छू सकते हैं। बता दें एमसीएक्स पर जीरा पहले ही 23500 रुपए प्रति क्विवंटल का रिकॉर्ड स्तर एक माह पहले ही छू चुका है। फिलहाल इसमें कुछ गिरावट है लेकिन आगे जीरा 25000 – 26000 का स्तर भी छू सकता है, ऐसा अनुमान जताया जा रहा है।
जयपुर में हाजिर दाम छू सकते हैं 300 रुपए प्रति किलो का स्तर

जयपुर के प्रमुख जीरा कारोबारी रामवतार अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में जयपुर के भाव 230 से 270 रुपए प्रति किलो हो गए हैं। इनके हाजिर भाव करीब 7 से 8 रुपए गिरे हैं। लेकिन आगे जून के बाद इसके दाम 300 रुपए प्रति किलो का स्तर छू सकते हैं।
जीरा उत्पादन कम रहना तय

जानकारों के अनुसार, फसल सत्र 2021-22 (नवंबर-मई) में कई कारणों से जीरा का उत्पादन कम रहने की आशंका है। लिहाजा जीरा की कीमतें उच्चतम स्तर तक जा सकती हैं। क्रिसिल का अनुमान है कि रबी सत्र 2021-2022 के दौरान जीरा का रकबा भी साल-दर-साल अनुमानित रूप से 21 प्रतिशत घटकर 9.83 लाख हेक्टेयर रह गया और यील्ड भी कम बताई जा रही है।
रकबा 21 प्रतिशत कम हुआ, उत्पादन 40 प्रतिशत गिरा

बीकानेर से कमोडिटी बाजार के एक्सपर्ट पुखराज चौपड़ा के अनुसार दो प्रमुख जीरा उत्पादक राज्यों में से गुजरात में इसकी खेती के रकबे में करीब 23 प्रतिशत और राजस्थान में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है और राजस्थान में जीरे की फसल के 40 प्रतिशत कम रहने का अनुमान है। चौपड़ा ने बताया कि रकबे में गिरावट किसानों द्वारा सरसों और चने की फसलों का रुख करने के कारण हुई है। सरसों और चना की कीमतों में उछाल आने से किसान उनकी खेती के लिए आकर्षित हुए हैं।
रमजान के बाद अब चीन की मांग का इंतजार

मुंबई के केडिया एडवायजरी के एमडी अजय केडिया की मानें तो जीरे में रमजान की जो मांग थी वो निकल चुकी है अब चीन की डिमांड आने की उम्मीद है। 15 जून तक चीन की डिमांड आ सकती है। चीन अभी पिछले कुछ दिनों से कोरोना लॉकडाउन के कारण बंद है। केडिया ने बताया कि चीन भारतीय जीरे का सबसे बड़ा खरीदार है। लेकिन केडिया का कहना है कि जीरे की क्राप साइज छोटी है और यील्ड कम है, इसलिए उतार – चढ़ाव से सावधान रहना होगा। लेकिन आगे जीरे में मजबूती की उम्मीद है और ये एमसीएक्स पर जून के बाद 25000 से 26000 का स्तर छू सकता है।

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