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जीएसटी के चार बिलों को राज्यसभा से भी मिली मंजूरी, 1 जुलाई से लागू होने का रास्‍ता साफ

locationसीहोरPublished: Apr 06, 2017 07:45:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

राज्यसभा ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लौटा दिया जिससे देश में अप्रत्यक्ष कर में आजादी के बाद के सबसे बड़े सुधार को एक जुलाई 2017 से लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

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 राज्यसभा ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को गुरुवार को ध्वनिमत से पारित कर लोकसभा को लौटा दिया जिससे देश में अप्रत्यक्ष कर में आजादी के बाद के सबसे बड़े सुधार को एक जुलाई 2017 से लागू करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। 
जीएसटी से जुडे चार विधेयकों केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी), एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी), राज्यों को क्षतिपूर्ति विधेयक (राज्य क्षतिपूर्ति) और संघ शासित प्रदेश वस्तु एवं सेवा कर (यूटीजीएसटी) को विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस और वामदलों के संशोधनों को मत विभाजन के जरिये अस्वीकार करते हुए सदन ने पारित कर दिया। 
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इन संशोधनों का समर्थन नहीं किया। कांग्रेस के जयराम रमेश और विवेक तन्खा ने भी कई संशोधन पेश किए थे लेकिन रमेश ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर वह कोई संशोधन पेश नहीं कर रहे हैं। हालांकि तन्खा ने अपने संशोधनों को रखा लेकिन फिर उन्हें वापस ले लिया। लोकसभा इन धन विधेयकों को पहले की पारित कर चुकी है और इस तरह इन विधेयकों पर संसद की मुहर लग गई है।
जेटली ने जताया कांग्रेस का आभार

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी विधेयक पारित होने पर कांग्रेस का आभार व्यक्त किया। विधेयकों के पारित होने जेटली अपनी सीट से उठकर विपक्ष की सीटों की ओर गए तथा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा से हाथ मिलाया तथा विधेयकों के समर्थन के लिए उनका आभार व्यक्त किया। 
गौरतलब है कि वर्ष 2006 के वित्त विधेयक में जीएसटी की परिकल्पना की गई थी और वर्ष 2011 में इसके लिए संविधान संशोधन विधेयक लाया गया था। इस तरह कई वर्षों तक चल यह प्रक्रिया जाकर लागू होने की स्थिति में आ गई है। जीएसटी की मूल संकल्पना कांग्रेस ने की थी और विधेयकों के मूल पाठ भी कांग्रेस ने तैयार किए थे।
विधेयकों में कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश ने कई महत्वपूर्ण संशोधनों का प्रस्ताव किया था जिसे उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सलाह पर वापिस ले लिया। इन्हें संशोधनों पर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और वामपंथी टे के रंगराजन और तपन कुमार सेन ने मत विभाजन कराया। 
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