जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा की मानें तो केंद्रीय बैंक अगले साल नीतिगत दरों में वृद्धि करेगा और यह वृद्धि 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसदी तक हो सकती है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने मूल मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जताई। सभी सदस्य इस बात पर एकमत थे कि नोटबंदी से महंगाई दर में जो कमी आई है, वह अस्थायी है और आने वाले दिनों में महंगाई की मार तेज हो सकती है। समिति के 6 सदस्यों में से दो ने तो अप्रेल की समीक्षा में ही रेपो रेट बढ़ाने की दलील दी थी, लेकिन बाजार के सेंटिमेंट का ख्याल रखते हुए अन्य सदस्य ने इसे वर्तमान दर पर बनाए रखने के पक्ष में थे।
2018 में बढ़ेगी ब्याज दर शोध के मुताबिक अब 2018 में रेपो में 0.50 प्रतिशत तक की वृद्धि की जा सकती है। इससे सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने छह अप्रेल को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया।
6 प्रतिशत पर जा सकती है महंगाई दर नोमुरा का मानना है कि दूसरी तिमाही में भले ही मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर नरम बनी रहेगी, लेकिन 2017 की चौथी तिमाही 2018 की पहली छमाही में उत्पादन अंतर कम होने, ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी बढऩे तथा प्रतिकुल तुलनात्मक आधार जैसे कारणों से यह 5.5 से 6 प्रतिशत हो जाएगी। नोमुरा ने आरबीआई नीति के मामले में अपने रुख में बदलाव किया है और अब 2018 में कुल मिलाकर 0.50 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है।