सुप्रीमकोर्ट में सोमवार को उस वक्त संभवत: इतिहास रचा जा रहा था, जब अदालत कक्ष में ही करीब एक घंटे तक सहारा समूह की गोरखपुर की 145 एकड़ भूमि की नीलामी हुई। न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर की अगुआई वाली विशेष खंडपीठ के समक्ष दो रियल स्टेट डेवलपिंग कंपनियों में सम्पत्ति को खरीदने के लिए होड़ मच गई और दोनों कंपनियों के मालिक खुद आगे आकर बोली लगाने लगे।
रफ्ता-रफ्ता बोली चढऩे लगी और सहारा की इस सम्पत्ति की कीमत फिलहाल पहले के सौदे से 86 करोड़ रुपए अधिक पर पहुंच गई। हालांकि यह बोली अंतिम नहीं है। मामले की सुनवाई की अगली तारीख (तीन अगस्त) को संभव है कि यह राशि और अधिक बढ़ जाए। सहारा समूह ने गत सात मई को अदालत को बताया था कि गोरखपुर की उसकी सम्पत्ति का सौदा समृद्धि डेवलपर के साथ 64 करोड़ रुपए में हुआ है। लेकिन उसी गोरखपुर रियल स्टेट डेवलपर का वकील सामने आया और उसने संपत्ति को 110 करोड़ रुपए में खरीदने का प्रस्ताव रखा।
अदालत ने स्थिति को भांपते हुए 11 करोड़ रुपए जमा कराने का निर्देश दिया था और सोमवार तक के लिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी थी। सोमवार को जैसे ही सुनवाई शुरू हुई गोरखपुर रियल स्टेट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने बकाये राशि के भुगतान का खाका पेश किया। आनन-फानन में समृद्धि डेवलपर की ओर से पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पारस कोहाड़ ने कहा कि उनका मुवक्किल इस संपत्ति के लिए 115 करोड़ देने को तैयार है। बस दोनों पक्षों में बोली लगने लगी और अंतत: गोरखपुर रियल स्टेट डेवलपर की बोली 150 करोड़ रुपए पर पहुंच गई।
दूसरा पक्ष आगे नहीं बढ़ सका। लेकिन इस बोली ने न्यायालय के कान खड़े हो गए और उसने कहा कि लगता है यह सम्पत्ति अधिक की है। जायसवाल के यह बताने पर कि गोरखपुर में सर्किल रेट के हिसाब से यह संपत्ति 191 करोड़ रुपए की है, विशेष पीठ ने दोनों पक्षों से 150 करोड़ रुपए का 25-25 फीसदी रकम यानी 37.5 करोड़ रुपए अदालत में 31 जुलाई तक जमा कराने का आदेश दिया।
न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख मुकर्रर की। बाद में न्यायालय ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को निर्देश दिया कि वह सेबी- सहारा रिफंड खाते का स्टेटमेंट और उसका निवेश कोर्ट में पेश करें।
सर्वोच्च अदालत ने सेबी से सहारा असेट बायर्स द्वारा दिए गए 15 अरब रुपए के चेक को भी भुनाने का आदेश दिया। उल्लेखनीय है कि सहारा प्रमुख सुब्रत राय और उनके दो निदेशक पिछले वर्ष चार मार्च से तिहाड़ जेल में बंद हैं। सहारा प्रमुख की जमानत पर रिहाई के लिए कंपनी को पांच हजार करोड़ रुपए नकद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी सौंपनी है।