उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिन क्षेत्रों को छूट मिली है, हम उन्हें जारी रखने की कोशिश करेंगे। हमने परिषद के समक्ष इसकी सिफारिश की है जो इस पर फैसला करेगी। संभावना है कि वे इसे स्वीकार करेंगे।
वर्तमान में सेवा क्षेत्र पर 14 फीसदी कर के साथ दो अलग-अलग सेस, स्वच्छ भारत सेस और कृषि कल्याण सेस, लगाया जाता है जिनकी दरें आधा-आधा फीसदी हैं। इस तरह सेवा क्षेत्र को 15 फीसदी कर चुकाना होता है।
अधिया ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि हालांकि जिनकी आय 20 लाख रुपये सालाना से कम है, वे जीएसटी के तहत नहीं आएंगे और उन्हें कोई सर्विस टैक्स नहीं देना होगा। वर्तमान में 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर सेवा कर चुकाना होता है। जीएसटी कानून के अंतर्गत किसानों को, जो खुद व परिवारवालों के साथ खेती करते हैं और उनका कारोबार 20 लाख रुपये अधिक है, तो भी उन्हें जीएसटी के अंतर्गत नहीं रखा जाएगा।
वर्तमान में रेशम उत्पादन, फूलों की खेती, दुग्ध उत्पादन, बागवानी और मत्स्य पालन में बड़ी संख्या में बाहरी श्रमिकों की सेवाएं ली जाती है। फिलहाल उन्हें सेवा कर से छूट मिली है। क्या जीएसटी में भी उन्हें यह छूट दी जाए या नहीं, इस पर अभी विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने अभी तक छूट की सूची पर फैसला नहीं किया है। इस पर परिषद अलग से विचार करेगी। मैं नहीं समझता कि फिलहाल कृषि से जुड़े किसी क्षेत्र पर कर लगाया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि जिन सेवाओं पर फिलहाल 15 फीसदी से कम सेवा कर लगाया जा रहा है, उसे जारी रखने की कोशिश की जाएगी। राजस्व सचिव ने यह भी कहा कि चूंकि पेट्रोल और पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के अंतर्गत शून्य शुल्क में रखा गया है, ऐसे में परिवहन पर 5 फीसदी कर लगाया जा सकता है।
जीएसटी परिषद ने करों के चार स्लैब तय किए हैं, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी। इसके अलावा एक शून्य फीसदी का स्लैब भी है। वर्तमान में 60 सेवाओं को सेवा कर से छूट मिली है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और धार्मिक यात्रा शामिल है।