अब इसी साल से वह कॉमर्शियल फ्लाइट में भी टोबैको बायोफ्यूल का इस्तेमाल शुरू करने वाली है। शुरुआती दौर में फॉसिल फ्यूल में ही बायोडीजल का कुछ हिस्सा मिलाकर यूज किया जाएगा। फिर धीरे-धीरे फॉसिल फ्यूल का हिस्सा कम करते हुए बायोडीजल का हिस्सा बढ़ाया जाएगा।
मालूम हो कि दक्षिण अफ्रीका में तंबाकू प्लांट से फ्यूल बनाने के लिए सोलरीस प्रजाति के पौधे का प्रयोग हो रहा है। तंबाकू प्लांट होने के बावजूद इस प्रजाति में निकोटिन की मात्रा बहुत कम होती है। हालांकि बायोडीजल अभी काफी महंगा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि बड़े पैमाने पर उत्पादन होने पर इसकी लागत में कमी आएगी। यह पर्यावरण के लिए भी अच्छा है।