कॉर्पोरेट वर्ल्ड

महिंद्रा एंड मोहम्मद से महिंद्रा एंड महिंद्रा बनने की कुछ ऐसी है दिलचस्प कहानी

1945 में महिंद्रा बंधुओं और गुलाम मोहम्मद ने शुरू की थी स्टील कंपनी
बंटवारे के बाद आजाद पाकिस्तान के पहले वित्त मंत्री बने मोहम्मद
कुर्बानी बड़ी याद छोटी

Aug 15, 2019 / 02:46 pm

Saurabh Sharma

नई दिल्ली। देश आजादी की 73वीं वर्षगांठ का जश्न मना रहा है। आजाद होने के बाद देश काफी आगे बढ़ चुका है। खासकर ऑटो सेक्टर की बात करें तो देश ने काफी तरक्की की है। देश की कई कंपनियों ने विदेशों में झंडे गाड़े हैं। अगर बात महिंद्रा एंड महिंद्रा की करें तो ऑटो सेक्टर में सबसे बड़े नामों में आता है। वहीं इस कंपनी के बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। जिसे आजादी से पहले शुरू किया गया था। जिसके मालिक महिंद्रा बंधुओं के अलावा मलिक गुलाम मोहम्मद भी थे। उस वक्त कंपनी का नाम महिंद्रा एंड मोहम्मद था। आखिर वो कौन सा मौका था, जब कंपनी को अपना नाम बदलना पड़ा। वो कौन सी मजबूरियां थी कि स्टील कारोबार से कंपनी को ऑटो सेक्टर की ओर मुढऩा पड़ा। आइए आपको भी बताते हैं इस कंपनी के दिलचस्प कहानी…

महिंद्रा एंड महिंद्रा दो देशों के बीच की कड़ी
देश की जानी मानी ऑटो कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा आजादी से पहले ना तो गाड़ियां बनाती थी और ना ही इसका नाम मौजूदा समय वाला था। साथ ही महिंद्रा परिवार के अलावा एक और परिवार इस कंपनी का मालिका था। जिसके सरमाएदार थे गुलाम मलिक मोहम्मद। ये वो ही मलिक मोहम्मद थे जो पाकिस्तान के पहले वित्त मंत्री और तीसरे गवर्नर जनरल बने। महिंद्रा और मलिक मोहम्मद ने 1945 में एक कंपनी की नींव रखी थी। जिसका नाम रखा गया महिंद्रा एंड मोहम्मद। महिंद्रा बंधुओं केसी महिंद्रा और जेसी महिंद्रा और मोहम्मद मलिक तीनों कंपनी को अच्छे से चला रहे थे। किसी ने भी नहीं सोचा था यह स्टील कंपनी कभी इस मोड़ पर आकर खड़ी होगी कि पार्टनर को हिंदुस्तान और पाकिस्तान में से किसी एक को चुनना होगा।

Mahindra and Mohammad

महिंद्रा बंधुओं को नहीं हुआ विश्वास
1947 से पहले पाकिस्तान की नींव की तैयारियां शुरू हो रही थी। महिंद्रा एंड मोहम्मद कंपनी भी तेजी के साथ आगे बढ़ रही थी। पार्टनर्स काफी मेहनत कर रहे थे। वहीं महिंद्रा बंधुओं को इस बात का नहीं पता था कि गुलाम मोहम्मद के दिल में क्या चल रहा है। भारत पाकिस्तान के बंटवारे की घोषणा हुई और गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान की ओर रुख कर गए। वो अब भी कंपनी के बड़े शेयर होल्डर्स में से थे। महिंद्रा बंधुओं को इस बात का गहरा झटका लगा था कि आखिर गुलाम मोहम्मद ने पाकिस्तान जाने का मन क्यों बनाया। जबकि वो धर्मनिरपेक्ष इनसान थे। सभी का आदर करते थे। 1948 में गुलाम मोहम्मद कंपनी से अलग हो गए।

Ghulam Malik Mohammad

फिर सामने आई बड़ी समस्या
कंपनी का रजिस्ट्रेशन एमएंडएम यानी महिंद्रा एंड मोहम्मद नाम से था। वहीं कंपनी की पूरी स्टेशनरी भी एमएंडएम नाम से ही थी। कंपनी का नाम चेंज कराने में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन उस समय स्टेशनरी बेकार हो रही थी। ऐसे में नाम ऐसा ही रखा जाना था जो एमएंडएम को पूरी तरह से जस्टीफाई करे। उसके बाद कंपनी का नाम बदलकर महिंद्रा एंड महिंद्रा कर दिया गया। जिसके बाद कंपनी की पूरी स्टेशनरी जो बेकार हो जाती वो काम आई और कंपनी को नुकसान भी नहीं हुआ।

Mahindra Jeep

स्टील कारोबार से ऑटो सेक्टर की ओर मूव
नाम बदलने के बाद महिंद्रा बंधुओं ने ऑटो इंडस्ट्री में कदम रखने का फैसला किया। दअरसल अमरीकी कंपनी में काम करने के दौरान केसी महिंद्रा ने अमरीका में जीप देखी थी। इसी के बाद उन्होंने इंडिया में जीप के निर्माण का सपना देखा और सपने को हकीकत में बदलने के लिए कंपनी ने भारत में जीप का प्रोडक्शन शुरू किया। कुछ समय बाद कंपनी ने लाइट कॉमर्शियल व्हीकल और ट्रैक्टर की मैन्यूफैक्चरिंग शूरू की। इसके बाद धीरे धीरे उसका सफर बढ़ता गया।

Anand Mahindra

1991 एमएंडएम के लिए था काफी अहम
भारतीय अर्थव्यवस्था और महिंद्रा ग्रुप दोनों के लिए 1991 काफी अहम साल है। इस साल भारत ने अर्थव्यवस्था को उदार बनाना शुरू किया था, जिसके बाद तेजी से ग्रोथ का दौर शुरू हुआ। 1991 में आनंद महिंद्रा महिंद्रा ग्रुप के डिप्टी डायरेक्टर बने थे। पिछले 25 साल में इंडियन इकोनॉमी की तरह महिंद्रा ग्रुप भी बुलंदी पर है।

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