वाल स्ट्रीट जनरल में हाल के एक दिलचस्प लेख में जीवन की सांझ में लोगों की वित्तीय भूलों का उल्लेख था। उम्र के पांचवें दशक में यह अहसास किसी दु:स्वप्न की तरह सताता है कि रिटायरमेंट के लिए वे पर्याप्त पैसे नहीं बचा पाए। यहां ईएलएसएस की अहमियत बढ़ जाती है।
जोखिम उठाने से डरना है खतरनाक सही जगह पर सही निवेश सबसे अहम होता है। अक्सर लोग कम जोखिम वाले विकल्पों- फिक्स डिपॉजिट और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) आदि में निवेश करते हैं। ऐसे में वे ऊंचे लाभ की संभावना से हाथ धो बैठते हैं। यदि आप रिटायरमेंट के लिए धन जमा करना चाहते हैं तो आपको बचत का एक हिस्सा मार्केट में निवेश करना पड़ेगा। 15 वर्षों के दौरान पीपीएफ की चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर (सीएजीआर) 8.3 ही रही है, जबकि सेंसेक्स ने 14.7 दिया।
कम लॉक-इन पीरियड का भी मिलता है लाभ पश्चिमी देशों के उलट भारतीय बाजारों में बहुत गुंजाइश और चमक बाकी है। मिसाल के तौर पर अधिकांश फंड अपने-अपने बेंचमार्कों को मात दे चुके हैं। न तो इन फंडों से मिले दीर्घावधि के रिटर्न पर कोई कर लगाया जाता, न ही इनके डिविडेंड पर। यही नहीं, टैक्स-बचत के अन्य विकल्पों के मुकाबले ईएलएसएस का लॉक-इन पीरियड भी सबसे कम है, जो महज तीन साल का है।
इसलिए ईएलएसएस है उम्दा विकल्प एक उदाहरण से समझते हैं- अगर हम 1.5 लाख से निवेश शुरू करते हैं, जो टैक्स-बचत के विकल्पों में निवेश की अधिकतम सीमा है। (नोट : इसमें एनपीएस शामिल नहीं है, जो आपको 50000 रुपए अतिरिक्त बचाने का अवसर देती है)। 2 दशकों तक 1.5 लाख हर वर्ष निवेश करने पर आपने कुल 30 लाख रुपए जमा किए।
यदि आपने यह रकम पीपीएफ में निवेश की होती तो 9.59 फीसदी वार्षिक औसत रिटर्न की दर से वर्ष 2015 के आखिर तक यह बढ़कर 82.14 लाख रुपए हो गई होती। लेकिन अब इसकी ब्याज दरों में कटौती हो चुकी है। इतनी ही रकम इतने ही समय के लिए ईएलएसएस में निवेश करने पर इससे आपको 2.74 करोड़ रुपए मिलते, जो पीपीएफ पोर्टफोलियो की वैल्यू से लगभग तीन गुना अधिक है। साफ तौर पर इसकी वार्षिक औसत रिटर्न दर 19.81त्न रही।
सम्पत्ति बनाने के लिए करें निवेश 1.5 लाख रुपए प्रतिवर्ष निवेश करके एक मोटी कर राशि की बचत की जा सकती है। हालांकि ऐसा नहीं करने पर यह मुफ्त में 46,350 रुपए (ञ्च 30.9) देने जैसा है। यदि आप करयोग्य 1.5 लाख निवेश करें तो आप यह पूरी रकम बचा सकते हैं। सरकार उपायों में पीपीएफ, एनपीएस, पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट, पंचवर्षीय बैंक डिपॉजिट, जीवन बीमा और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) शामिल हैं। राजीव गांधी इक्विटी सेविंग्स स्कीम का लाभ भी उठा सकते हैं।
3 साल काफी नहीं अधिकांश ईएलएसएस निवेशक तीन वर्ष का लॉक-इन पीरियड समाप्त होते ही यूनिटों को बेचने की गलती करते हैं। जबकि उन्हें यह समझना चाहिए कि अगर तीन वर्ष पूरा होते ही वे निकासी कर लेते हैं, और उन्हें प्राप्त रकम की जरूरत नहीं है तो उस राशि को फिर से कहीं निवेश करने की जरूरत पड़ेगी। कर विहीन लाभ पाने के लिए इस रकम को दोबारा एक निश्चित अवधि के लिए रोक कर रखना ही पड़ेगा।
अदिति कोठारी एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट व सेल्स-मार्केटिंग की प्रमुख, डीएसपी ब्लैकरॉक