सुधारात्मक उपायों से जुड़े सुझाव भी देगा आयोग
बता दें साल 2017-18 में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और निजी बैंकों में धोखाधड़ी के कुल 8,802 मामले सामने आए हैं। वहीं 2016-17 में 7,794 और 2015-16 में 7,482 मामले सामने आए थे। बैंकों में लगातार बढ़ रहे एनपीए और बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी के मामलों को ध्यान में रखते हुए सीवीसी सिर्फ जांच पड़ताल ही नहीं करेगा, बल्कि सुधारात्मक उपायों से जुड़े सुझाव भी देगा। ऐसा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के मुख्य सतर्कता अधिकारियों के माध्यम से किया जाएगा।
क्या कहना है सतर्कता आयुक्त का
इस संदर्भ में सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन ने कहा कि जांच-परख आयोग में भी की जा रही है और सुधारात्मक कार्य योजना के समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए सलाह भी दी जा रही है। सरकारी संगठनों में तैनात केंद्रीय सतर्कता अधिकारी वहां भ्रष्टाचार और अन्य धोखाधड़ी वाली गतिविधियों की रोकथाम के लिए वहां सीवीसी के अंग के रूप में काम करते हैं।
rbi की जांच के बावजूद होते हैं घोटाले
वैसे तो बैंकों के अंदरूनी निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) करता है, लेकिन तब भी पीएनबी जैसा घोटाला सामने आया। इसलिए ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इस जांच से ये भी पता चलेगा कि बैंकों के तेजी से बढ़ते एनपीए के पीछे अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं। इसके साथ ही बीमा कंपनियों के भी क्लेम या अन्य मामलों में मनमानी तेजी से बढ़ रही थी। इस जांच के बाद बैंकिंग और बीमा कंपनियों में किसी प्रकार की धोखाधड़ी नहीं होगी।
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