कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि भारत सरकार को वोडाफोन(Vodafone) से जो राशि बकाया है उसकी मांग करना बंद करना चाहिए और कानूनी लड़ाई लड़ने में खर्च हुई राशि का भुगतान भी मुआवजे के तौर पर कंपनी को 54.7 लाख डॉलर देना चाहिए। लेकिन अभी तक इस बारे में दोनों के वित्त मंत्रालय की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई गई है।
वोडाफोन ने चुनौती दी थी कि भारत उनसे ब्याज और जुर्माना के तौर पर 20,000 करोड़ रुपये की मांग कर रहा था। जिस पर कोर्ट ने भारत सरकार को बड़ी फटकार लगाई है।
यहां से हुई इस विवाद की शुरूआत
दरअसल साल 2007 में वोडाफोन ने हॉन्गकॉन्ग के Hutchison Whampoa से भारत में मोबाइल कारोबार को लेकर 11 अरब डॉलर में 67 फीसदी हिस्सेदारी की थी वहीं से इस पूरे विवाद की शुरुआत हुई। अब सरकार का मानना था कि वोडाफोन को इसके लिए कर चुकाना होगा लेकिन कंपनी इसके लिए कतई राजी नही हो रही थी। इसके बाद यह विवाद कोर्ट तक पहुंच गया और साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन के पक्ष में फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि वोडाफोन ने इनकम टैक्स एक्ट 1961 को ठीक समझा है। उसने कहा 2007 में हुई यह डील टैक्स के दायरे में नहीं थी इसलिए अब इस पर टैक्स नहीं लगाया जा सकता है। जिसके बाद भारत सरकार को हार का सामना करना पड़ा है।