वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 11 अप्रैल को नोटों की छपार्इ के लिए प्राॅडक्शन प्लानिंग की बैठक हुर्इ थी। इसमें 2000 रुपए के 100 करोड़ नोट छापने का प्रस्ताव रखा गया था। हालांकि वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर छाेटे नोटों की सप्लार्इ बढ़ाने पर जोर दिया।
दरअसल, वित्त मंत्रालय की योजना छोटे नोटों की सप्लार्इ बढ़ाने की है। मंत्रालय का मानना है कि इससे जाली नोटों की साजिश पर लगाम लगेगी आैर आैर दूसरे बड़े ट्रांजेक्शन कैश की बजाय आॅनलाइन या कार्ड से हो सकेंगे। इससे कैशलेस इकाॅनोमी को बढ़ावा मिलेगा।
बताया जा रहा है कि पिछले कुछ वक्त में आरबीआर्इ की आेर से 2000 रुपए के नोटों की आपूर्ति में कमी की गर्इ है। इसके कारण भी माना जा रहा है कि इसके पीछे सरकारी मंशा 2000 रुपए के नोट को बंद करने की है।
एसबीआर्इ की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अब लोग छोटी करेंसी का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। डिमोनेटाइजेशन एंड कैश एफिसिएंसी नामक रिपोर्ट का कहना है कि देश में 500 आैर 100 रुपए के नोटों की हिस्सेदारी पहले 86.3 फीसदी थी जो अब घटकर 72.4 फीसदी ही रह गर्इ है। एसबीआर्इ ने अपने कुछ एटीएम को 500 रुपए के नोटों के रिकैलिब्रेट किया है। इससे 500 रुपए के नोट ज्यादा रखे जा सकेंगे।