script1930 जैसी आर्थिक मंदी में फंस सकती है दुनिया | World economy may be slipping into 1930 Great Depression says raghuram | Patrika News

1930 जैसी आर्थिक मंदी में फंस सकती है दुनिया

Published: Jun 26, 2015 03:23:00 pm

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रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने दुनिया के सभी केंद्रीय बैंकों को चेतावनी दी है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 1930 की भयंकर आर्थिक मंदी जैसी समस्या में फिर से फंस सकती है।

raghuram rajan

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रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने दुनिया के सभी केंद्रीय बैंकों को अर्थव्यवस्था से जुड़े पूर्वनिर्धारित नियमों को परिभाषित करने की अपील करते हुए चेतावनी दी है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 1930 की भयंकर आर्थिक मंदी जैसी समस्या में फिर से फंस सकती है।

राजन ने गुरुवार को लंदन बिजनेस स्कूल के कार्यक्रम में कहा कि भारत में स्थिति भिन्न है। निवेश बढ़ाने के लिए आरबीआई को ब्याज दरों में कमी लाने की जरूरत है।

उन्होंने 1930 की आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस हालात से निपटने का समाधान ढूंढा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बेहतर समाधान के लिए हमें नए नियमों की जरूरत है। मुझे लगता है कि केंद्रीय बैंकों की कार्रवाइयों के संदर्भ में अर्थव्यवस्था से जुड़े पूर्वनिर्धारित नियमों को फिर से परिभाषित करने जैसे विषय पर चर्चा शुरू होनी चाहिए। मैं नए नियम कैसे स्थापित होंगे, के बारे में अनुमान लगाने का साहस नहीं दिखाने जा रहा हूं। इसके लिए गहन शोध के बाद ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा कर किसी परिणाम तक पहुंचा जा सकता है।

राजन ने कहा कि यह समस्या किसी औद्योगिक देश या उभरते बाजार वाले देशों के लिए नहीं है बल्कि इसका दायरा काफी विस्तृत है। राजन ने भारत में ब्याज दरों में कटौती के बार में कहा कि बाजार की प्रतिक्रिया को विराम दिया जाना चाहिए और इसके लिए जहां तक वह कर सकते हैं, उन्होंने किया है। देश में निवेश का प्रवाह बढ़ाने की जरूरत है और इसको लेकर वह काफी ङ्क्षचतित हैं।

उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कमी आए ताकि कंपनियों को सस्ते दर पर कर्ज मिले और वह निवेश कर सकें। लेकिन, यह मामला अन्य देशों के संदर्भ में काफी जटिल है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों पर उच्च विकास दर हासिल करने का खासा दबाव है और इसके लिए वहां के केंद्रीय बैंकों पर दबाव है। वर्ष 2008 की आर्थिक मंदी को अभी आठ साल हुए हैं और केंद्रीय बैंकों ने मंदी के दौरान और उसके बाद काफी कुछ किया है।

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