यह है प्रमुख कारण जिनकी वजह से शेयरों में लगातार गिरावट आई (Yes Bank Share)
कमजोर तिमाही नतीजेYes Bank के तिमाही नतीजे अपेक्षानुसार नहीं रहे। बैंक का मुनाफा और मार्जिन दोनों ही दबाव में रहे, जिससे निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है। कमजोर वित्तीय प्रदर्शन की वजह से बैंक की प्रॉफिट ग्रोथ रुक गई है, जिससे निवेशकों में असंतोष पैदा हो गया है। बैंक के नेट इंटरेस्ट मार्जिन और ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स की स्थिति भी निवेशकों को संतुष्ट नहीं कर पाई।
Yes Bank के गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में वृद्धि देखी जा रही है। बैंकिंग सेक्टर में NPA का बढ़ना एक नकारात्मक संकेत माना जाता है, और Yes Bank के मामले में यह दबाव अधिक स्पष्ट हो रहा है। NPA के बढ़ने का मतलब यह होता है कि बैंक को अपने कर्ज वसूली में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जो उसके मुनाफे को प्रभावित करता है। इस वजह से निवेशक अपने पोर्टफोलियो से Yes Bank के शेयर कम कर रहे हैं।
Yes Bank में पिछले कुछ सालों में कई बड़े उतार-चढ़ाव आए हैं, और इसी वजह से निवेशकों का भरोसा इस बैंक पर कमजोर हुआ है। 2020 में बैंक को संकट का सामना करना पड़ा था, और RBI द्वारा सहायता के बाद से यह धीरे-धीरे पटरी पर आ रहा है। हालांकि, मौजूदा हालात में बैंक के संचालन और प्रदर्शन में स्थिरता की कमी दिख रही है, जिससे निवेशकों को Yes Bank में भविष्य की सुरक्षा को लेकर संदेह है।
वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख रहा है, और Yes Bank जैसे छोटे बैंकों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ा है। वैश्विक मंदी और ब्याज दरों में बदलाव का असर बैंकिंग सेक्टर पर पड़ा है। इसके चलते निवेशकों ने जोखिम कम करने के लिए बैंकिंग शेयरों को लेकर सतर्कता बरती है, जिसका प्रभाव Yes Bank पर भी पड़ा है।
Yes Bank में कई संस्थागत निवेशकों ने हाल ही में अपनी हिस्सेदारी घटाई है, जिससे शेयर की कीमत में गिरावट आई है। जब बड़े निवेशक अपने शेयर बेचते हैं, तो इसका प्रभाव शेयर की मांग और आपूर्ति पर पड़ता है। बड़ी बिकवाली से शेयर (Yes Bank Share) की कीमत में गिरावट आती है और छोटे निवेशक भी घबरा जाते हैं, जिससे दबाव बढ़ता है।