रॉयटर्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार, आर.सी. भार्गव (मारुति सुजुकी के चेयरमैन) ने कहा कि, सरकार के इस कदम से छोटी, कम लागत वाली कारों की बिक्री पर असर पड़ेगा। दरअसल, सरकार आगामी 1 अक्टूबर से देश में बिकने वाली कारों में 6 एयरबैग को अनिवार्य करने जा रही है। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पुष्टि की है कि भारत में सभी नई कारें जल्द ही 6 एयरबैग से लैस होंगी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने जनवरी में पैसेंजर कारों में 6 एयरबैग को अनिवार्य बनाने के लिए एक मसौदा अधिसूचना को मंजूरी दी थी। इस मसौदा अधिसूचना में कहा गया था कि नई कारें, यदि वे 1 अक्टूबर, 2022 से निर्मित होते हैं तो उन्हें नए सुरक्षा मानकों का पालन करने की आवश्यकता होगी।
भार्गव ने यह भी कहा कि छोटी कारों की बिक्री में और कमी आएगी क्योंकि यह पहले से ही कोरोना महामारी के कारण घट रही है। “यह छोटी कार बाजार के आम लोगों को नुकसान पहुंचाएगा, जो अधिक महंगी कारों का खर्च नहीं उठा सकते हैं।” भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा वाहन बाजार है, हर साल लगभग 30 लाख यूनिट वाहनों की बिक्री होती है और इंडिया के पैसेंजर कार मार्केट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी मारुति सुजुकी और हुंडई की है।
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इस समय देश में सभी वाहनों में डुअल फ्रंट एयरबैग (ड्राइवर और को-ड्राइवर) के लिए एयरबैग देना अनिवार्य है। इसके साथ ही यदि 4 अन्य एयरबैग को शामिल किया जाता है तो इससे खर्च तकरीबन 17 हजार से 20 हजार रुपये तक बढ़ जाएगा। जैसा कि, ऑटो बाजार सूचना आपूर्तिकर्ता JATO Dynamics द्वारा इंगित किया गया है।
इतना ही नहीं, जेएटीओ में भारत के अध्यक्ष रवि भाटिया का कहना है कि, कभी-कभी, खर्च अधिक हो सकता है क्योंकि वाहन निर्माता कंपनियों को अतिरिक्त एयरबैग को लगाने के लिए अपने वाहनों के डिजाइन में परिवर्तन करने की भी जरूरत पड़ सकती है, जिसका सीधा असर वाहन के मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट पर ही पड़ेगा। उन्होंने कहा, “कंपनियों को यह तय करने की आवश्यकता होगी कि क्या बदलाव करना संभव है, जबकि कारों की कीमत में भी इजाफा होगा।
लोगों की सुरक्षा जरूरी या कारों की कीमत:
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कारों में 6 एयरबैग शामिल किए जाने पर कारों की प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ेगी और इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा। लेकिन ये प्रश्न भी उतना ही जरूरी है कि, लोगों की सुरक्षा जरूरी या कारों की कीमत? यात्रियों की सुरक्षा और सड़क हादसों में होने वाली मौतों का हवाला देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने हाल ही में राज्य सभा में कहा था कि, अगर कारों में एक्टिव एयरबैग (Airbags) लगाए जाते तो 2020 में देश में 13,022 लोगों की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने कहा कि एक ही वर्ष में वाहनों की आमने-सामने की टक्कर में मारे गए कुल 8,598 लोगों को एयरबैग के उपयोग से बचाया जा सकता था।
गडकरी ने ये भी कहा था कि, साल 2020 में आमने-सामने की टक्करों में कम से कम 25,289 लोगों की जान गई, जिनमें से तकरीबन 30 प्रतिशत लोगों के सिर में चोट लगी थी, यदि इन दुर्घटनाओं में शामिल कारों में फंक्शनल एयरबैग होते तो इनकी जान बचाई जा सकती थी। इसी तरह, साइड की टक्करों के कारण 14,271 लोगों की जान चली गई और उनमें से 31 प्रतिशत या 4,424 लोगों की जान साइड एयरबैग के इस्तेमाल से बचाई जा सकती थी।
क्या कहता है SIAM:
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) ने अनुरोध किया है कि, मंत्रालय अपने इस नए नियम पर पुन: विचार करे, क्योंकि दुनिया में कहीं भी साइड और कर्टन एयरबैग अनिवार्य नहीं हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि, आखिर सियाम क्या है तो आपको बता दें कि, सियाम भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के सतत विकास का समर्थन करने की दिशा में काम करता है, इस दृष्टि से कि भारत ऑटोमोबाइल के डिजाइन और निर्माण के लिए दुनिया भर में सबका पसंदीदा बन सके। यह भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने, वाहनों की लागत कम करने, उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता के वैश्विक मानकों को प्राप्त करने की दिशा में काम करता है, जैसा कि SIAM के आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज किया गया है।