पैसों की भारी बचत:
पुरानी कार खरीदने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे आप भारी रकम खर्च करने से बच जाते हैं। इसके अलावा यदि कार की कीमत कम रही तो आप एक मुश्त पेमेंट कर के कार घर ला सकते हैं, जिससे हर महीने दी जाने वाली मासिक किस्त (EMI) से भी छुटकारा मिलता है। बीते कुछ महीनों में नई कारों की कीमत काफी बढ़ गई है, तकरीबन हर तीन महीने में किसी न किसी कारण से वाहनों की कीमत में इजाफा देखने को मिल रहा है। इसके पीछे वाहन निर्माता कंपनियां इनपुट कॉस्ट का हवाला दे रही हैं।
वहीं पुरानी कार खरीदते समय आपको इन बातों की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं होती है। इस प्रकार, इस्तेमाल की गई पुरानी कार चुनने का मतलब है कि आप न केवल कार के मूल मूल्य से कम भुगतान करते हैं, बल्कि आपकी खरीद मूल्य आज की नई कार की तुलना में काफी कम हो जाती है। वहीं कम बीमा प्रीमियम भी आपकी बचत में जुड़ती है, चूकिं वाहन की मार्केट वैल्यू कम हो जाती है इसलिए इंश्योरेंस के लिए आपको कम से कम प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
तत्काल मिले सेफ़्टी:
कोरोना वायरस (Covid-19) महामारी के बाद ज्यादातर लोग सार्वजनिक परिवहन के बजाय व्यक्तिगत वाहनों की तरफ मुखर हुए हैं। तकरीबन हर कोई जल्द से जल्द अपनी प्राइवेट कार में सफर करना चाहता हैं, क्योंकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मुकाबले प्राइवेट व्हीकल ज्यादा सुरक्षित साबित होते हैं। जहां नई कार खरीदते समय आपको लंबे वेटिंग पीरियड से जूझना होता है, वहीं सेकेंड हैंड कार को आप तत्काल अपने घर ला सकते हैं। हालांकि पुराने वाहन खरीदने के बाद उसे ठीक ढंग से सेनेटाइज कराना न भूलें।
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कम खर्च में ज्यादा विकल्प:
आज के समय में नई कार खरीदने के लिए बज़ट सबसे बड़ा सवाल है। मौजूदा स्थिति की बात करें तो देश की सबसे सस्ती कार Maruti Alto के बेस वेरिएंट की भी शुरुआती कीमत 3.25 लाख रुपये से शुरू होती है, जिसकी ऑनरोड कीमत तकरीबन पौने 4 लाख रुपये के आस-पास होगी। जहां 4 से 5 लाख रुपये की कीमत में आप एक एंट्री लेवल कार खरीदते हैं वहीं इतने खर्च में आप सेकेंड हैंड मार्केट में हैचबैक, एसयूवी और एमपीवी जैसे मॉडल भी घर ला सकते हैं। इसलिए यूज्ड मार्केट आपको कम खर्च में ही ज्यादा विकल्प उपलब्ध कराता है।
इंतज़ार से छुटकारा:
कोरोना महामारी तकरीबन सभी सेक्टर को प्रभावित किया है, ख़ासकर ऑटो सेक्टर में कंपोनेंट की सप्लाई बुरी तरह से इफेक्ट हुई है। सेमी-कंडक्टर की कमी के चलते वाहनों का प्रोडक्शन और डिलीवरी दोनों में वेटिंग पीरियड बढ़ गया है। महिंद्रा थार और मारुति अर्टिगा सीएनजी जैसे मॉडलों के लिए तकरीबन 8 महीनों तक वेटिंग देखने को मिल रहा है। ऐसे में सेकेंड हैंड कार को आप तत्काल अपने घर ला सकते हैं, जिससे इंतज़ार का झंझट खत्म होता है और आप तत्काल वाहन मालिक बन जाते हैं।
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बिना टेंशन ट्रेनिंग का मौका:
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि जो लोग अपनी पहली कार खरीदते हैं उनकी ड्राइविंग स्किल बहुत बेहतर नहीं होती है। ऐसे में नए चालक के हाथ में महंगी और नई कार ड्राइविंग के लिए देना काफी रिस्की भी होता है। ज्यादातर पुराने वाहनों पर पहले से ही डेंट इत्यादि होते हैं, लेकिन नई कार की बॉडी पर खींची गई एक महीन लकीर भी सीने पर खंजर के समान होती है। इसलिए सेकेंड हैंड कार ये भी एक बड़ा फायदा है कि आप इसे ड्राइव करते हुए अपने ड्राइविंग स्किल को भी बेहतर बना सकते हैं और इस दौरान आपको बहुत ज्यादा टेंशन लेने की भी जरूरत नहीं होती है।
कम से कम मूल्यह्रास:
यूज्ड कार खरीदने का ये एक बहुत बड़ा फायदा होता है, कि आपके द्वारा खर्च किए गए पैसों का मूल्यह्रास (Depreciation) बहुत कम होता है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि यदि आपने 3 लाख रुपये खर्च कर के कोई पुरानी कार खरीदी और आप एक साल के बाद उक्त कार को बेचने जाते हैं तो उस दशा में भी आपको 2.50 लाख रुपये से लेकर 2.80 लाख रुपये तक की रकम आसानी से मिल जाती है। कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि यदि कार की कंडिशन मेंटेन हो तो खरीद दाम भी मिल जाते हैं। वहीं नई कार खरीदने के बाद शोरूम से बाहर आते ही उसका मूल्यह्रास तेजी से होने लगता है और यदि आप नई कार को भी 1 साल बेचते हैं तो आपको उतने पैसे रिटर्न में नहीं मिलते हैं।