ET ऑटो के हवाले से छपी रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के एक टॉप सोर्स ने ईटी को बताया कि ऐसे मार्केट में जहां 80% से ज्यादा पर्सनल बायर्स फाइनेंसिंग सॉल्यूशंस का विकल्प चुनते हैं, वहां पर वाहनों की बढ़ने वाली अतिरिक्त कॉस्ट मंथली EMI में बमुश्किल 150 रुपये तक बढ़ जाएगी। यहां पर सरकार का मानना है कि, अतिरिक्त एयरबैग लगाने पर एक छोटी कार की कीमत में 6,000-10,000 रुपये की लागत बढ़ेगी।
क्या सेफ़्टी के नहीं खर्च करेंगे 150 रुपये:
इस रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी ऑटो को बताया कि, इस समय देश में नए वाहन खरीदार एडवांस फीचर्स और ज्यादा सुरक्षित कारों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। लोग तेजी से स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल्स (SUV) को तरजीह दे रहे हैं। इसके अलावा एंट्री लेवल वाहन जिनमें फीचर्स कम हैं उनकी बजाया लोग यूज्ड कारों को खरीद रहे हैं, जिनमें ज्यादा बेहतर फीचर्स शामिल हैं। ऐसे में क्या लोग हर महीने महज 150 रुपये की अतिरिक्त राशि कार सेफ़्टी पर खर्च नहीं करेंगे।
क्या कहते हैं नितिन गडकरी:
बीते कल यानी बुधवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक जवाब में कहा था कि, “जिनेवा के वर्ल्ड रोड स्टैटिस्टिक्स (डब्ल्यूआरएस) के अनुसार, भारत में 2020 में 1.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जो 207 देशों में दर्ज कुल सड़क दुर्घटनाओं का 26.37 प्रतिशत है।” ऐसे में देश में बेहतर सेफ़्टी फीचर्स वाली कारों की जरूरत है ताकि हादसों के वक्त मौत के आंकड़ों पर अंकुश लगाया जा सके।
इससे पहले भी गडकरी कारों की सेफ़्टी के लिए कई बार अपना पक्ष रख चुके हैं। बता दें कि, 6 एयरबैग को अनिवार्य करने के मामले में मारुति सुजुकी ने आपत्ती जताई थी और कहा था कि, इससे Alto जैसी एंट्री लेवल कारों की कीमत में इजाफा होगा, जिससे बिक्री प्रभावित होगी।
वहीं नितिन गडकरी ने कुछ निर्माताओं के विरोध को ठीक नहीं माना है। उनका मानना है कि 6 एयरबैग और अनिवार्य Bharat NCAP रेटिंग का विरोध करना दोहरी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा, कुछ कार निर्माता निर्यात-विशिष्ट कारों में टॉप सेफ़्टी फीचर्स और 6 एयरबैग की पेशकश करते हैं, लेकिन भारत में बेची जाने वाली कारों में वो इन फीचर्स और मानकों को शामिल नहीं करते हैं।
दरअसल, गडकरी भारत में बेची जाने वाली कारों के लिए वही सेफ्टी फीचर्स चाहते हैं जो एक्सपोर्ट-स्पेक कारों यानी विदेशों में निर्यात किए जाने वाले वाहनों में दिया जाता है। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री ने संसद में बताया था कि अगर 2020 में सभी कारों में 6 एयरबैग होते तो तकरीबन 13,000 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
ऑटोमोटिव कंसल्टिंग फर्म जाटो डायनेमिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, छह एयरबैग वाले वाहनों की पहुंच अमेरिका में 98 फीसदी और भारत में 12-13% है। हालांकि, भारत में ऐसे वाहनों की औसत कीमत लगभग 10 लाख रुपये है जो अमेरिका में लागत का एक तिहाई है। इससे पहले इस साल जनवरी में, सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक मसौदा अधिसूचना जारी किया था, जिसमें 1 अक्टूबर 2022 के बाद निर्मित श्रेणी M1 के वाहनों को दो फ्रंट डुअल एयरबैग सामने की पंक्ति में बैठने वाले व्यक्तियों के लिए और दो तरफ के कर्टन/ट्यूब एयरबैग को शामिल किया जाना अनिवार्य कया था।