बढ़ाया गया समय:
परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के टेस्ट के लिए सबसे बड़ी राहत समय को बढ़ाकर दी गई है। अब आवेदकों को वाहन बैक (रिवर्स) करने के लिए 200 सेकेंड का समय मिलेगा, जो कि पहले केवल 180 सेकेंड मिलता था। इसके अलावा पार्किंग टेस्ट के लिए अब तक केवल 120 सेकंड तक का समय मिलता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 150 सेकंड कर दिया गया है, इससे लोग आसानी से वाहन पार्क कर सकेंगे।
येलो लाइन पर राहत:
टेस्ट के दौरान ज्यादातर लोगों लिए येलो लाइन (पीली रेखा) किसी बड़ी आफत से कम नहीं थी, वाहन को बैक करने के दौरान ज्यादातर चालकों का वाहन इस रेखा को छू जाता था, जिससे आवेदक को फेल करार दिया जाता था। लेकिन अब इसमें नियमों के बदलाव से बड़ी राहत मिली है और अब वाहन के पीली लाइन से छू जाने के बावजूद टेस्ट देने वाले को फेल नहीं माना जाएगा।
रेड लाइन पर सख्ती बरकरार:
हालांकि बदले हुए नियमों में येलो लाइन पर तो छूट मिली है, लेकिन रेड लाइन (लाल रेखा) को लेकर कोई राहत नहीं मिली है। ड्राइविंग टेस्ट के दौरान यदि वाहन रेड लाइन को छूता है तो आवेदन को फेल माना जाएगा। इसलिए ड्राइविंग टेस्ट देने वाले इस बात पर ख़ास ध्यान दें।
आठ के आकार में वाहन चलाना:
टेस्ट के दौरान चालकों को (8) के आकार में बनाए हुए सर्किट में वाहन चलाना होता है, जिससे उनके ड्राइविंग स्किल का पता चलता है। इसमें कोई भी बदलाव नहीं किया गया है, इसके लिए पहले की ही तरह 90 सेकेंड का समय मिलेगा। यदि आवेदक इतने समय में आसानी से सर्किट पूरा कर लेता है तो पास नहीं तो यदि किसी स्टोन से वाहन ट्च होता है तो उसे फेल माना जाएगा।
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दोपहिया चालकों को भी राहत:
दोपहिया जैसे बाइक, स्कूटर के ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट देने वालों को भी इस नियम में बड़ी राहत दी गई है। अब तक आवेदक ड्राइविंग के दौरान अपने पैर को नीचे उतारकर टेक नहीं ले सकते थें, लेकिन अब वो ऐसा कर सकेंगे और उन्हें फेल नहीं माना जाएगा। यानी पैर से टेक लेकर वाहन को आसानी से मोड़ने में सहायता मिलेगी।
ट्रैक में भी किया गया बदलाव:
ट्रैक में बदलाव करते हुए ढलान की लंबाई जो कि पहले 12 इंच थी, उसे अब बढ़ाकर 18 इंच कर दिया गया है। हालांकि इसके समय में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। वाहन चालकों को इसके लिए पहले की तरह 90 सेकेंड का ही समय मिलेगा।