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इन 6 बड़ी विदेशी ऑटो कंपनियों ने इंडियन मार्केट को कहा अलविदा! एक ने तो साल भर में समेटा कारोबार

locationनई दिल्लीPublished: Aug 15, 2022 12:32:25 pm

Submitted by:

Ashwin Tiwary

बीते कुछ सालों से ऑटो सेक्टर कई बड़े बदलाव के दौर से गुजरा है, जिसमें सेफ़्टी मानकों से लेकर बीएस6 इत्यादि शामिल हैं और इनका असर कंपनियों के कारोबार पर भी सीधे तौर पर देखने को मिला।

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Car and Motorcycle Companies that Exited from Indian Market

इस ख़बर को लिखते वक्त एक पुरानी कव्वाली जेहन में आ रही है कि, ‘बहुत कठिन है डगर पनघट कि’… अमीर ख़ुसरो की ये कव्वाली उन विदेशी वाहन निर्माता कंपनियों पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं जिन्होनें हाल ही में भारतीय बाजार को अलविदा कह दिया। इन कंपनियों की शुरुआत तो बहुत जोर-शोर से हुई लेकिन बदलते नियम, व्हीकल स्टैंडर्ड और गिरती बिक्री के चलते भारतीय बाजार में इन कंपनियों की राह आसान नहीं थी। पिछले 5 सालों में कई दिग्गज कार और बाइक निर्माता कंपनियों ने इंडियन मार्केट से अपना कारोबार समेटा है, और कमोबेश सबके पीछे एक कारण था कि, ‘वाहनों की बिक्री’।

बीते कुछ सालों से ऑटो सेक्टर कई बड़े बदलाव के दौर से गुजरा है, जिसमें सेफ़्टी मानकों से लेकर बीएस6 इत्यादि शामिल हैं और इनका असर कंपनियों के कारोबार पर भी सीधे तौर पर देखने को मिला। जिन कंपनियों ने इन बदलाव को स्वीकार किया वो आज भी फर्राटा भर रहे हैं लेकिन कुछ ने अपडेट करना मुनासिब नहीं समझा और उन्हें अपना ऑपरेशन बंद करना पड़ा। खैर, आज हम आपको अपने इस लेख उन्हीं कंपनियों के बारे में बताएंगे। तो आइये डालते हैं एक नज़र –


1)- Ford:

अमेरिका की प्रमुख कार निर्माता कंपनी फोर्ड ने हाल ही में भारत में अपने कारोबार को बंद करने की घोषणा की थी। बीते दिनों टाटा मोटर्स इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड ने गुजरात के साणंद में फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संयंत्र के अधिग्रहण के लिए एक यूनिट हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस एग्रीमेंट में संयंत्र के साथ-साथ इसकी सभी मशीनरी और सभी पात्र कर्मचारियों सहित पूरी सुविधा का हस्तांतरण शामिल है।

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भारत में फोर्ड का इतिहास काफी पुराना है, फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने साल 1926 में कनाडा की फोर्ड मोटर कंपनी की सहायक कंपनी के रूप में उत्पादन शुरू किया। प्रारंभिक फोर्ड इंडिया कंपनी का परिसमापन मई 1953 में किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर आयात प्रतिबंध लागू किए गए थे। इसके बाद फोर्ड ने अक्टूबर 1995 में महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड के साथ 50-50 संयुक्त उद्यम महिंद्रा फोर्ड इंडिया लिमिटेड (MFIL) के रूप में भारतीय बाजार में फिर से प्रवेश किया।

समय के साथ करोबार बढ़ा और फोर्ड ने मार्च 1998 में शेयर 72% तक बढ़ाकर कंपनी का नाम बदलकर फोर्ड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कर दिया था। फोर्ड ने भारतीय बाजार में कई मॉडलों को पेश किया, जिसमें फिगो, फिएस्टा सेडान, इकोस्पोर्ट कॉम्पैक्ट एसयूवी, फ्रीस्टाइल जैसे मॉडल शामिल थें। फिलहाल, कंपनी ने भारत से अपना कारोबार समेट लिया है।

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2)- Datsun:

जापानी वाहन निर्माता कंपनी निसान ने 20 मार्च 2012 को, यह घोषणा की थी कि कंपनी इंडोनेशिया, नेपाल, दक्षिण अफ्रीका, भारत और रूस में कम लागत वाली कार ब्रांड के रूप में डैटसन को लॉन्च करेगा। इसके बाद साल 2014 में दैटसन को एक किफायती ब्रांड के तौर पर दैटसन को भारत में लॉन्च किया गया। कंपनी ने अपने किफायती कारों गो, गो प्लस और रेडी गो जैसे मॉडलों को यहां पर बिक्री के लिए पेश किया, लेकिन ये कारें बाजार में कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखा सकीं। गो प्लस कंपनी की तरफ से पेश की जाने वाली भारत की सबसे सस्ती 7 सीटर कारों में से एक थी। लेकिन लगातार कम होती बिक्री के चलते कंपनी ने भारत से अपना कारोबार समेट लिया है।

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3)- Fiat:

एफसीए इंडिया ऑटोमोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड (FCIPL) जिसे पहले “फिएट ग्रुप ऑटोमोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड” के रूप में जाना जाता था। इस ब्रांड 1997 में गठित किया गया था। कंपनी की स्थापना फिएट, अबार्थ और जीप ब्रांड के तहत कारों और इंजन के उत्पादन के लिए की गई थी। यह भारत में बिक्री के हिसाब से नौवीं सबसे बड़ी भारतीय कार निर्माता कंपनी रही है।

भारतीय बाजार में इस इटैलियन कंपनी का सफर काफी लंबा रहा, जहां एक तरह फिएट ने भारत में पूंटो, लीनिया और एडवेंचुरा जैसे मॉडलों को पेश किया वहीं ये ब्रांड कई दिग्गज कंपनियों जैसे मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स को इंजन भी बेचती रही है, जिसका इस्तेमाल तत्कालीन स्विफ्ट और इंडिगो जैसी कारों में किया जाता था। खैर, कंपनी ने मार्च 2019 में भारत में अपने कारों की बिक्री को आधिकारिक तौर पर बंद करने की घोषणा की।


4)- General Motors:

अमेरिका की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी जनरल मोटर्स ने भारत में दशकों तक कारोबार किया, कंपनी ने अपने मशहूर कार ब्रांड शेवरले (Cevrolet) की कई एक से बढ़कर एक कारों को पेश किया था। साल 2017 में कंपनी ने आखिरकार अपने तकरीबन दो दशक के सफर को खत्म करते हुए कारों के बिक्री को आधिकारिक तौर पर बंद करने की घोषणा की थी। कंपनी ने साल 1996 में इंडिया में अपने ऑपरेशन को शुरू किया था। शेवरले ब्रांड के अन्तर्गत कंपनी ने बीट, सेल, टवेरा एसयूवी, क्रूज सेडान, एन्जॉय एमपीवी जैसी कारां को पेश किया था।

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5)- Cleveland Motorcycles:

क्लीवलैंड मोटरसाइकिलें ऑटो एक्सपो 2018 में भारतीय बाजार में पेश की गईं थी। कंपनी ने इंडियन मार्केट में कुछ मॉडलों को पेश किया जिसमें ऐस, मिसफिट नियो-रेट्रो स्क्रैम्बलर्स और कैफे रेसर्स जैसी बाइक्स शामिल थीं। बहरहाल, मोटरसाइकिलों की कीमतों की भी घोषणा की गई और कंपनी ने डीलरशिप भी स्थापित करना शुरू कर दिया और पुणे में कंपनी ने 16,000 वर्ग फुट का असेंबली सेंटर भी तैयार किया। लेकिन जब देश में एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) को 125 सीसी और उससे उपर के वाहनों में इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया गया, तो कंपनी का कारोबार लड़खड़ाने लगा, जिसका नतीजा था कि कंपनी ने महज 1 साल के भीतर ही भारत से अपना कारोबार समेट लिया।

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क्लीवलैंड साइकिल वर्क्स अपने कस्टमाज करने वाले मोटरसाइकिलों के लिए जाना जाता था। कंपनी का कोई बहुत पुराना इतिहास नहीं है क्योंकि इसे 2009 में कुछ अमेरिकी दोस्तों के समूह द्वारा शुरू किया गया था। दरअसल, कंपनी चीन और ताइवान से सस्ते पार्ट्स को आयात अपने वाहनों में इस्तेमाल करती थी, और ज्यादातर बाइक्स में होंडा का इंजन प्रयोग किया जाता था। भारत में, हालांकि, क्लीवलैंड ने लैश-मैडिसन मोटरवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ भागीदारी की और यहां पर मोटरसाइकिलें CKD किट के रूप में आईं। यह पहली बार था जब क्लीवलैंड साइकिल वर्क्स (सीसीडब्ल्यू) ने सीकेडी किया था और बाजार से ज्यादा बेहतर रिस्पांस न मिलने के कारण कंपनी को भारत में अपना ऑपरेशन बंद करना पड़ा।

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6)- SsangYong Motor:

दक्षिण कोरिया की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी सैंग्यांग मोटर का सफर भी भारतीय बाजार में बहुत ही छोटा रहा, कंपनी ने यहां के बाजार में केवल एक मॉडल Raxton का पेश किया था और वो कुछ ख़ास कमाल नहीं कर सका। इसके अलावा कंपनी ने महिंद्रा के साथ भी हाथ मिलाया और महिंद्रा ने इसी एसयूवी के अपडेटेड वर्जन को अल्टुरस जी4 के नाम से बतौर लग्ज़री एसयूवी पेश किया और इसे भी ग्राहकों से कुछ ख़ास प्रतिक्रिया नहीं मिली। आखिरकार, कंपनी ने साल 2018 में आधिकारिक तौर पर इंडिया से अपना कारोबार बंद कर दिया।

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