डीलर ने दिया पुराना मॉडल:
रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में ग्राहक द्वारा कोई समस्या नहीं बताई गई थी। ग्राहक ने डीलरशिप पर गाड़ी की पहली सर्विस भी करवाई थी, लेकिन करीब लगभग एक महीने के बाद ग्राहक को शक हुआ। ऐसे में ग्राहक ने इंटरनेट पर जब गाड़ी की डिटेल्स चेक की तो पता कि जो मॉडल उन्हें डिलीवर की गई है, वो तो पुरानी सेल्टोस HTK+ 1.5 मॉडल की है, न कि नया मॉडल है, जिसे कंपनी ने 02 जून, 2020 को लॉन्च किया था। बाद में डीलरशिप से ग्राहक ने संपर्क करके यूनिट रिप्लेसमेंट का अनुरोध किया।
अगर आपकी SUV दे रही है कम माइलेज और खराब परफॉरमेंस, तो ये आसान उपाय करेंगे आपकी मदद
ग्राहक को दिया ऑफर:
ग्राहक को डीलरशिप ने शुरुआत में आश्वासन दिया गया कि मामले की जांच करके समाधान निकाला जाएगा। लेकिन फिर बाद में डीलरशिप ने गाड़ी बदलने से मना कर दिया। उन्होंने 23,000 रुपये की एक्सटेंडेड वारंटी और कार को उन फीचर्स से लैस करने का प्रस्ताव दिया, जो नए मॉडल में आते हैं।
डीलर पर लगा 16 लाख का जुर्म:
ग्राहक ने फिर यूनिट रिप्लेसमेंट पर जोर दिया और डीलर ने अस्वीकार कर दिया. इसके बाद ग्राहक ने जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया। फोरम ने सुनवाई के बाद फैसला ग्राहक के पक्ष में सुनाया । अब डीलरशिप ग्राहक को पुराने मॉडल के बदले में नया मॉडल देगी या फिर लगभग 16 लाख रुपये ग्राहक को देगी, जिसमें रिफंड, ब्याज और कंपनसेशन शामिल है।
नई कार की डिलीवरी लेने से पहले रखें ध्यान:
अपनी नई कार की डिलीवरी लेने से पहले कार की पूरी बॉडी को ठीक से देखें ।एक बार गाड़ी के सभी पेपर्स की ठीक से जांच करें। कार को स्टार्ट करके देखें। नई कार की डिलीवरी लेने से पहले कार के कैबिन की जांच जरूर करें, खासतौर पर कार के सभी स्विच ठीक से काम कर रहे हैं या नही इस बात की भी तसल्ली करें।