इससे पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी अलग-अलग मंचों से देश के वाहन निर्माता कंपनियों से फ्लेक्स-फ्यूल इंजन के इस्तेमाल करने की अपील कर चुके हैं। संभव है कि मारुति सुजुकी पहले से ही तैयारी कर रही हो और सरकार के निर्देशों के आने से पहले ही वो भविष्य में लॉन्च होने वाले वाहनों इस तरह के इंजन का इस्तेमाल शुरू करे। TOI की एक रिपोर्ट के अनुसार मारुति सुजुकी फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पर काम करना शुरू कर चुकी है।
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दरअसल, पारंपरिक फ़्यूल जैसे कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के चलते सरकार भी इस पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रही है और लोगों को दूसरे ईंधन विकल्पों के इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है। फ्लेक्स-फ्यूल, गैसोलीन और मेथेनॉल या इथेनॉल के मिश्रण से तैयार एक वैकल्पिक ईंधन है और इसका निर्माण फसलों से किया जाता है। जैसा कि भारत एक कृषी प्रधान देश है तो यहां पर कम लागत में इस फ़्यूल का निर्माण किया जा सकेगा। इसके अलावा भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक मुल्क है और इससे पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता भी कम हो सकेगी।
E85 पेट्रोल की ख़ास बातें:
– E85 पेट्रोल में 51 से 85 प्रतिशत इथेनॉल होता है।
– इसके लिए इंजन के आंतरिक कंपोनेंट्स को री-इंजीनियरिंग करने की आवश्यकता होती है।
– E85 पेट्रोल और डीजल ईंधन का एक सस्ता विकल्प साबित हो सकता है।
– फ्लेक्स-फ्यूल कारों को 2023 के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है।
इथेनॉल का इस्तेमाल पेट्रोल के साथ ब्लेडिंग के लिए किया जाता है, और इसके प्रयोग से पेट्रोल की कीमत काफी हद तक कम हो जाएगी। इसके अलावा यदि 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाले इंजन का निर्माण कर लिया जाता है तो ये लागत और भी कम हो जाएगी। एक पेट्रोल इंजन को E85 के अनुरूप बनाने के लिए भारी रिसर्च और डेवलपमेंट की जरूरत होती है, जिससे इसकी लागत मुल्य बढ़ जाती है। इसलिए उम्मीद है कि मारुति सुजुकी इस इंजन का इस्तेमाल प्रीमियम सेग्मेंट के वाहनों में करे। इन सभी बातों के बावजूद, E85 ईंधन पेट्रोल या डीजल से सस्ता होने की संभावना है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी रनिंग कॉस्ट कम होगी।
क्या होता है फ्लेक्स-फ्यूल इंजन:
‘फ्लेक्स-फ्यूल इंजन’ एक आंतरिक दहन (ICE) इंजन है जो एक से अधिक प्रकार के ईंधन और मिश्रण पर भी चल सकता है। ऐसे इंजन में आमतौर पर, पेट्रोल और इथेनॉल या मेथनॉल के मिश्रण का उपयोग किया जाता है। सीधे शब्दो में समझे तो फ्लेक्स अंग्रेजी के Flexible शब्द से बना है, जिसका मतलब ऐसा इंजन जो बिना किसी दिक्कत के दूसरे ईधन से चल सकता हो। वर्तमान समय में इस इंजन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल ब्राजील में किया जा रहा है। वहीं भारत की बात करें तो इस इंजन के लिए ईंधन इथेनॉल और मेथेनॉल को मिलाकर बनाया जा सकता है।