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इस टेक्नोलॉजी के तहत यूनिक नंबर और व्हीकल आइडेंटिफिकेशन नंबर वाले लेजर बेस्ड माइक्रोडॉट्स को कार की पूरी बॉडी पर स्प्रे किया जाएगा। इन नैनो माइक्रोडॉट्स का साइज 0.5 एमएम होगा। कार, ट्रक, बसों के लिए 10 हजार माइक्रोडॉट्स की आवश्यकता होगी, वहीं दो पहिया वाहनों के लिए 5000 माइक्रोडॉट्स की जरूरत होगी। वहीं इनकी लाइफसाइकिल 15 सालों तक होगी।
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इस टेक्नोलॉजी के जरिए कार के पुर्जे अलग कर देने के बावजूद चोरी हुए वाहनों और उनके मालिकों के बारे में तुरंत पता लगाया जा सकेगा। इस स्प्रे की सबसे खास बात ये है कि इन्हें किसी भी तरह से हटाया नहीं जा सकता है और इन्हें अल्ट्रावॉयलेट लाइट के जरिए देखा जा सकेगा। इस टेक्नोलॉजी के लागू होने के बाद कार चोरों को चोरी करना मुश्किल होगा।
आपको बता दें कि इस टेक्नोलॉजी के लिए बहुत दिनों से सरकार से बात की जा रही थी। फाइनली अब सरकार ने इसे लागू करने को लेकर हरी झंडी दे दी है। ऑटोमोबाइल टेक्निकल स्टैंडर्ड्स का आंकलन करने वाली संस्था CMVR-TSC के साथ बैठक के बाद इसे मंजूरी दे दी गई है। नोटीफिकेशन जारी होने के बाद ये पूरे देश में लागू हो जाएगी।
कीमत- इस टेक्नोलॉजी की कीमत 1000 रुपये से कम रखी जा सकती है।