नई दिल्ली। अपने तीन दिवसीय ब्रिटिश दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जगुआर लैंड रोवर के प्लांट का दौरा किया। गौरतलब है कि जगुआर को कुछ साल पहले मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा ने खरीद लिया था। रतन टाटा द्वारा इस ब्रिटिश कंपनी को खरीदने के पीछे कई कारण थे। इन कारणों को टाटा कैपिटल के सीईओ प्रवीण काडले ने वाईबी चव्हाण पुरस्कार समारोह के दौरान उजागर किया था जो हम आपको बता रहे हैं। रतन टाटा द्वारा Jaguar Land Rover को खरीदने के पीछे का मकसद अपने अपमान का बदला लेना था। रतन टाटा ने 1998 में हैचबैक कार इंडिका लॉन्च की थी जो बुरी तरह से फेल रही। लॉन्च होने के एक साल तक लोगों ने इसे पसंद ही नहीं किया और इसकी बिक्री नहीं के बराबर हो रही थी। उस समय कुछ लोगों ने रतन टाटा को कार डिवीजन बेचने की सलाह दी जिसे उन्होंने भी मान भी लिया था। टाटा कार डिविजन को खरीदने के लिए कई कंपनियों से संपर्क किया जिनमें अमरीकी कंपनी फोर्ड भी थी। फोर्ड के अधिकारी टाटा के मुख्यालय बॉम्बे हाउस आए। टाटा कार डिविजन खरीदने की शुरूआती बातचीत के बाद टाटा को फोर्ड हेडक्वार्टर डेट्रॉयट बुलाया गया। च्वहाण भी चेयरमैन रतन टाटा के साथ मैं भी वहां गए थे। करीब तीन घंटे तक बातचीत हुई जिस दौरान फोर्ड वालों का रवैया अपमानजनक था। लंबी बातचीत के दौरान कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड ने कहा कि “जब आपको पैसेंजर कार के बारे में कुछ पता ही नहीं था तो बिजनेस शुरू क्यों कर दिया। हम इसे खरीदकर आप पर एहसान ही करेंगे।” इसके बाद उसी शाम को च्वहाण समेत टाटा ने डेट्रॉयट से न्यूयॉर्क लौटने का फैसला किया। 90 मिनट की फ्लाइट में रतन टाटा उदास से रहे। इस घटना के नौ साल बाद 2008 में फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई। अमेरिकी ऑटो हब डेट्रॉयट की ही हालत खराब हो चली थी। उसके बाद टाटा ने फोर्ड का लग्जरी ब्रांड जगुआर-लैंडरोवर (जेएलआर) खरीदने का फैसला किया। इस बाबत बात करने के लिए फोर्ड के अधिकारी बॉम्बे हाउस आए थे। यह सौदा 2.3 अरब डॉलर (उस समय 9300 करोड़ रुपए) में हुआ। तब बिल फोर्ड ने टाटा से कहा- “जेएलआर खरीदकर आप हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं”।क्यांकि जेएलआर से फोर्ड को भारी नुकसान हो रहा था। जेएलआर खरीदने के कुछ ही समय बाद टाटा उसे मुनाफे में ले आए। गौरतलब है कि जब टाटा ने जेएलआर को खरीदा तो उसे 1800 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ। इससे टाटा मोटर्स को 2500 करोड़ का घाटा हुआ। तब उसकी मार्केट वैल्यू 6500 करोड़ रूपए रह गई थी। आज इस कंपनी की मार्केट वैल्यू 1.79 लाख करोड़ रूपए है। साल 2014 में टाटा मोटर्स ने 2.33 लाख करोड़ रूपए कमाए। इस कमाई में जेएलआर का हिस्सा 1.90 लाख करोड़ रूपए था। जेएलआर से टाटा को 17 हजार करोड़ का मुनाफा हुआ।