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Ratan Tata की सादगी के मुरीद हुएं सभी, जब Nano से बिना सिक्योरिटी के पहुंचे Taj होटल! देखें VIDEO

Ratan Tata ने दुनिया की सबसे सस्ती कार Nano को आम भारतीय लोगों की कार के तौर पर पेश किया था। इस कार ने घरेलू बाजार में तकरीबन एक दशक का सफर तय किया और फिर खराब बिक्री के चलते इसे डिस्क्ंटीन्यू कर दिया गया।

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प्रतिकात्मक तस्वीर: Ratan Tata with Nano

टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर से रतन टाटा की सादगी ने लोगों के दिल को जीत लिया है, जब वो दुनिया की सबसे सस्ती कार और उनके ड्रिम प्रोजेक्ट के तौर पर जानी जाने वाली Tata Nano से ताज होटल पहुंचे। जब उन्होंने नैनो में यात्रा की, तो इंटरनेट पर इसका वीडियो वायरल हो गया और सभी लोग रतन टाटा की सादगी और उनके इस राइड की प्रशंसा करने लगें।

दरअसल, मुंबई के सेलिब्रिटी फोटोग्राफर विरल भयानी द्वारा पोस्ट किए गए इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में रतन टाटा बिना किसी सिक्योरिटी के सफेद नैनो में ताज पर पहुंचे। बाद में उन्हें होटल के कर्मचारियों द्वारा अंदर ले जाया गया। देश के इतने बड़े उद्योगपति का यूं अपने समय की दुनिया की सबसे सस्ती कार (Tata Nano) में सफर करना नेटिज़न्स के दिलों को छू लिया है। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लाखों लोगों ने पसंद किया।


बता दें कि, Tata Nano, रतन टाटा का ड्रीम प्रोजेक्ट था और वो इस कार को लेकर काफी संजीदा थें। उनका सपना था कि देश के हर तबके के लोग कार की सवारी का लुत्फ ले सकें और इसी सपने को एक आकार देने के लिए उनकी कंपनी ने साल 2008 में दुनिया की सबसे सस्ती कार के तौर पर Tata Nano को लॉन्च किया था। जिस वक्त इस कार को बाजार में उतारा गया उस वक्त इसे 'लखटकिया' नाम भी दिया गया, क्योंकि इसे केवल 100,000 रुपये की इंट्रोडक्ट्री प्राइस में लॉन्च किया गया था।

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हालांकि शुरुआत में इस कार ने शानदार प्रदर्शन किया लेकिन 10 सालों के बाद इस छोटी कार सफर खत्म हो गया और इस कार को आधिकारिक तौर पर डिस्कंटीन्यू कर दिया गया। इसका सबसे प्रमुख कारण इसकी बिक्री थी, भले ही कम कीमत की होने के चलते इस कार ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी, लेकिन स्पेस और सेफ़्टी इत्यादि के चलते इस कार को लोगों ने बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया और जिसका नतीजा था इसकी बिक्री लगातार कम होती गई।




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शुरुआत में 100,000 नैनो कारों के पहले बैच को लॉटरी के माध्यम से बेचा गया था, जिसकी मांग आपूर्ति से अधिक थी। लेकिन बाद के वर्षों में मांग घटती रही। 2012 में रतन टाटा ने भी स्वीकार किया कि नैनो के लॉन्च के साथ गलतियाँ की गई थीं। हालांकि, Tata Nano प्रोजेक्ट हमेशा से रतन टाटा के दिल के करीब रहा और उन्होंने अक्सर इसे "सभी भारतीयों के लिए एक किफायती कार" के रूप में बताया भी था। लेकिन नैनो में उनकी सवारी ने कई लोगों को चौंका दिया, लोगों का कहना है कि, वो आदमी जो जगुआर और लैंड रोवर्स बनाने वाली फर्म का भी मालिक है, उनकी सादगी काबिले तारीफ है।