scriptइस कार कंपनी पर NGT ने लगाया 100 करोड़ का जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला | Volkswagen Fined 100 Crore By NGT, know the detail of issue | Patrika News

इस कार कंपनी पर NGT ने लगाया 100 करोड़ का जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

locationनई दिल्लीPublished: Nov 17, 2018 12:31:29 pm

Submitted by:

Pragati Bajpai

एनजीटी चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की जांच के लिए पर्यावरण मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, सीपीसीबी और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन के अधिकारियों की एक कमेटी

volkswagen

इस कार कंपनी पर NGT ने लगाया 100 करोड़ का जुर्माना, जानें क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली: लग्जरी कार कंपनी फॉक्सवैगन पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने शुक्रवार को 100करोड़ का जुर्माना लगाया है। दरअसल आजकल उन सभी कारों पर नकेल कसी जा रही है जो पॉल्यूशन बढ़ाती हैं। और फॉक्सवैगन कारों पर भी इसी वजह से एक्शन लिया गया है।कंपनी पर आरोप है कि उसने डीजल गाड़ियों में कार्बन उत्सर्जन घटाने की जगह ऐसी डिवाइस का इस्तेमाल किया, जो आंकड़ों में हेर-फेर कर देती थी।
आपको मालूम हो कि सलोनी ऐलावाड़ी ने याचिका दायर की थी, उन्होंने फॉक्सवैगन की गाड़ियों से कार्बन उत्सर्जन के नियमों के उल्लंघन होने की शिकायत की थी। जिसके बाद एनजीटी चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की जांच के लिए पर्यावरण मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, सीपीसीबी और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन के अधिकारियों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को यह पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी कि फॉक्सवैगन की गाड़ियों से पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा है।
Maruti Brezza को टक्कर देगी Mahindra की S201 का इलेक्ट्रिक वर्जन, 2020 में होगा लॉन्च!

एनजीटी ने इस कमेटी को एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, दोनो पक्षों को सात दिन में सुबूत समेत हाजिर होने के लिए कहा गया था। जिसके जवाब में फॉक्सवैगन ने एनजीटी से 3.23 लाख वाहनों को मार्केट से वापस लेकर उनमें ऐसी डिवाइस लगाएगी, जो कार्बन का उत्सर्जन कम कर देगी। लेकिन जांच में पता चला है कि कंपनी की ओर से गाड़ियों में फिट की गई नई डिवाइस महज एक सॉफ्टवेयर था, जो डीजल वाहनों में कार्बन उत्सर्जन के आंकड़ों में हेर-फेर कर देता था।
सितंबर 2015 में फॉक्सवैगन ने पहली बार 1.11 करोड़ गाड़ियों में ‘डिफीट डिवाइस’ लगाने की बात कबूली थी जो कि 2008 से 2015 के बीच दुनियाभर में बेची गई थी। आपको मालूम हो कि इस डिवाइस से लैबटेस्ट में कारों से होने वाला कार्बन उत्सर्जन एकदम ठीक आता है जबकि वास्तव में यह उत्सर्जन यूरोपीय मानकों से चार गुना अधिक था। फॉक्सवैगन को इस घोटाले के कारण अब तक अरबों रुपए का जुर्माना देना पड़ा है। कंपनी सिर्फ जर्मनी में 8,300 करोड़ रुपए का जुर्माना दे चुकी है। इसके अलावा कंपनी के कुछ हाईप्रोफाइल अधिकारियों को जेल भी हुई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो