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इसी साल आ सकती है बिना ड्राइवर वाली कारें, ये कंपनियां है दौड़ में

Published: Jan 01, 2016 04:19:00 pm

Submitted by:

Anil Kumar

बिना थकान के लंबा सफर करवाने में ऑटोनमस व्हीकल भविष्य में बड़ी भूमिका निभाएंगे

Driverless car

Driverless car

नई दिल्ली। पूरी तरह सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल के कंसेप्ट में दिनों-दिन नए निर्माता और देश जुड़ रहे हैं। हालांकि, फिलहाल माना जा रहा है कि हाई-वे के लिए ड्राइवरलेस व्हीकल अच्छे हो सकते हैं लेकिन शहरों के ट्रेफिक में इन्हें दौडऩे में अभी कुछ साल और लगने वाले हैं। बिना चालक के लंबी दूरी की यात्राओं में यह खास उपयोगी हो सकते हैं, वहीं सुरक्षित सफर के लिहाज से अभी इन पर बहुत काम किया जाना बाकी है। बिना ड्राइवर के दौड़ती हुई कार कभी पूरी तरह काल्पनिक लगा करती थी, हालांकि अब इस दिशा में काफी प्रगति हो चुकी है, माना जा रहा है कि ऑटोनमस व्हीकल सार्वजनिक परिवहन में एक बड़ा बदलाव लाने में सक्षम है।

10 साल पहले जुलाई, 2005 में फॉक्सवैगन ने जर्मनी में अपनी एक गाड़ी ट्यूरेज एसयूवी को बिना चालक के ऑफ-रोड ट्रेक पर दौड़ाया था। ‘स्टेनली’ उपनाम वाली इस गाड़ी ने सेंसर्स की बदौलत बेहतर प्रदर्शन किया। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से तैयार हुए इस ऑटोनमस व्हीकल ने उसी साल अमेरिका में 23 ड्राइवरलेस व्हीकल के बीच 208 कि.मी. की डेजर्ट रेस जीती। इस इवेंट से सामने आया था कि कैसे ड्राइवरलेस सिस्टम विकसित हो रहा है जबकि इससे एक साल पहले तक के किसी इवेंट में कोई व्हीकल अधिकतम 11 किमी. तक की अपनी दौड़ पूरी नहीं कर पाया था। एक रिसर्च ग्रुप का यहां तक कहना है कि 2025 तक दुनिया की सड़कों पर 20 मिलियन ऑटोमेटेड कार आ जाएंगी जो तब की कार आबादी का एक फीसदी होंगी, ज्यादातर हाईवे पर दौड़ेंगी।


दस साल पहले फॉक्सवैगन की ‘स्टेनली’ के डेजर्ट रेस जीतने से अब तक हालांकि ऑटोनमस व्हीकल ने बहुत तरक्की कर ली है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इंसानी ड्राइवरों की जगह लेने में अभी इन्हें और कई साल लगने वाले हैं, खासतौर पर शहरों की सड़कों में। डच चिपमेकर कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर के अनुसार अगले तीन सालों में हाई-वे ऑटोनमस व्हीकल के लिए तैयार हो सकते हैं लेकिन शहरों के भीतर जटिल सड़क नेटवर्क में ड्राइवरलेस कार चलाने में अभी बहुत बाधाएं हैं। पिछले साल जब मर्सडीज ने अपनी कार की टेस्टिंग की थी तो एक वृद्ध औरत की वजह से गफलत खड़ी हो गई थी। सड़क पार करने से पहले उस औरत ने सोचा कि पहले गाड़ी निकल जाए, वहीं कार ने डिटेक्ट किया कि कोई इंसान नजदीक है, जो सड़क पार कर रहा है और दोनों ही रुके रहे, आखिरकार कार में बगल की सीट पर बैठे इंसानी ड्राइवर ने हस्तक्षेप करते हुए कार को मैनुअली ड्राइव किया। ट्रेफिक-जाम जैसी स्थितियां भी एक बड़ा पहलू हैं।

हाल में, कैलिफोर्निया के एक पुलिसकर्मी ने गूगल की पॉड जैसी ड्राइवरलेस कार पर आपत्ति उठा दी थी क्योंकि वह बहुत धीरे चल रही थी। विशेषज्ञों के अनुसार हाई-वे पर ऐसी गाडिय़ां बहुत मददगार साबित हो सकती हैं, जिनसे लंबी दूरी के बीच चालक की थकान या दुर्घटनाओं में कमी आ जाएगी। यह भी माना जा रहा है कि जब लोग बिना थकान के लंबा सफर करने के आदी हो जाएंगे तो शहरों में भीड़-भाड़ भी कम होगी क्योंकि तब लोग शहर से दूर भी घर बना कर रहने लगेंगे, सरकारों को शहरों में ज्यादा सड़कें या घरों के लिए जगह निकालने की जरूरत नहीं रह जाएगी। हाल में ब्रिटिश मार्केट रिसर्च ग्रुप ‘जूनिपर रिसर्च’ ने कहा था कि 2025 तक दुनिया की सड़कों पर 20 मिलियन ऑटोमटेड कार आ जाएंगी जो तब की कार आबादी का एक फीसदी होगी। 

सिंगापुर भी दौड़ में कूदा है, पिछले साल यहां ‘कार्ट’ का गठन किया गया, जिसका काम विदेशों से सहयोग करते हुए सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल को एक हकीकत में बदलना है। फिलहाल बात शेयर्ड ऑटोनमस व्हीकल की हो रही है फिर भी कई देशों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। कुछ विकसित देशों ने अपने यहां की सार्वजनिक सड़कों पर ड्राइवरलेस कारों के ट्रायल को भी मंजूरी दे दी है और कुछ निर्माता भी मैदान में कूद आए हैं। पिछले साल स्वीडन ने हाईवे पर ड्राइवरलेस ट्रेलर्स का ऑन-रोड ट्रायल किया था। दो महीने पहले पहले जर्मनी ने डेमलर कंपनी को स्टूटगार्ट के नजदीक एक हाई-वे पर अपना ड्राइवरलेस ‘एक्टर्स’ ट्रक चलाने की अनुमति दी, इससे कुछ माह पहले ही यूएस में भी ऐसा ट्रायल हुआ था जबकि ब्रिटेन भी ऐसा ट्रायल करने की योजना बना रहा है। अप्रैल माह में एक ऑटोनमस ऑडी से सेन फ्रांसिस्को से न्यूयॉर्क तक की 5,400 कि.मी. की दूरी तय की, ऐसी यात्राओं में यह सर्वाधिक लंबी दूरी का सफर था। 2017 से पहले बीएमडब्लू चीन में भी ऑटोनमस ड्राइविंग ट्रायल शुरू कर सकता है।

जापान में कारमेकर्स ट्रायल से भी आगे निकल गए हैं, टोयोटा और निसान जैसी कंपनियों का दावा है कि 2020 के टोक्यो ओलंपिक से पहले वे कोई उपयोगी समाधान लाएंगी। ऐसा ही समाधान अगले मार्च माह में टोक्यो के नजदीक तटीय कस्बे में ड्राइवरलेस टैक्सियों के एक काफिले के परीक्षण में होगा। स्विट्जरलैंड में भी ड्राइवरलेस नाइन सीटर मिनी बस चलाई जाएगी। 2017 तक वॉल्वो भी अपनी 100 ऑटोनमस कारों का गोथनबर्ग की सार्वजनिक सड़कों पर ट्रेफिक के बीच ट्रायल करेगा। सिंगापुर भी इस दौड़ में कूद पड़ा है। पिछले साल यहां ‘कमेटी ऑन ऑटोनमस रोड ट्रांसपोर्ट फॉर सिंगापुर’ (कार्ट) का गठन किया गया, यह एक बहु-अनुशासनिक समूह है, जिसका काम सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल को एक हकीकत में बदलना है। कार्ट, ‘गार्डन बाई द बे’ और ‘सेंटोसा’ के लिए एक ऑटोनमस व्हीकल बना रहा है और बंदरगाह के लिए ऑटोनमस ट्रक को विकसित करेगा।

ऑटोनमस होने के लिए…

विजन सेंसर
स्मार्ट सेंसर जो व्हीकल, पैदल यात्री या रास्ते के किसी और ऑब्जेक्ट को सेंसर-फ्यूजन के लिए डिटेक्ट करेंगे। सेंसर-फ्यूजन एक ऐसा सॉफ्टवेयर होगा जो कई सेंसर से डेटा लेगा। 

लिडार
लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) छत पर और गाड़ी के आगे लगा होगा जो 3डी मैप बनाते हुए व्हीकल की वास्तविक लोकेशन तय करेगा। इसमें 6 लेयर से लेकर 64 लेयर के 3डी लिडार होंगे।

राडार
गाड़ी के आगे की तरफ दो डिटेक्शन रेंज (मध्यम और लंबी) के सेंसर लगे होंगे। मध्यम रेंज वाले डिटेक्शन आगे की तरफ से 60 मीटर की दूरी कवर करेंगे, जिनकी फील्ड ऑफ व्यू 45 डिग्री होगी। इससे व्हीकल को लेन से न टकराने और पैदल यात्रियों से बचने में मदद मिलेगी। लंबी रेंज वाले डिटेक्शन 174 मीटर एरिया कवर करेंगे जबकि उनकी फील्ड ऑफ व्यू मात्र 10 डिग्री होगी। यह दूसरी गाडिय़ों या ऑब्जेक्ट्स से सुरक्षित दूरी बनाना सुनिश्चित करेंगे। व्हीकल के पीछे की तरफ भी 360 डिग्री ऑब्जेक्ट डिटेक्शन वाला रडार लगा होगा।

हाई सेंसटिव कैमरा
आगे की ओर देखते हुए मोनो कैमरा विजन सिस्टम से मिली जानकारी से सेंसर-फ्यूजन को वस्तुओं को पहचानने और वर्गीकरण में मदद मिलेगी, जैसे ट्रेफिक लाइट, सिग्नल आदि।

जीपीएस एंटीना
ऑटोनमस व्हीकल की भौगोलिक स्थितियां उपलब्ध करवाने के लिए सेंसर, जो सेंटीमीटर तक की शुद्धता के साथ डेटा उपलब्ध करवाएगा।

डिस्टेंस मेजरमेंट इंस्ट्रूमेंट
गाड़ी के पिछले बाएं पहिए पर एक डीएमआई सेंसर बताएगा कि व्हीकल ने कितनी दूरी तय कर ली है, साथ ही मैप पर गाड़ी की सही पोजीशन भी मिल सकेगी।

इनर्शल मेजरमेंट यूनिट
एक इनर्शल सेंसर, जिसमें त्रि-अक्षीय त्वरणमापी और घूर्णनदर्शी शामिल होंगे, यह गाड़ी के झुकाव और पोजीशन को इंगित करता रहेगा।
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