ज्यादातर यूजर्स के लिए होम इंटरनेट कनेक्शन में दो समस्याएं आती हैं- धीमी कनेक्शन स्पीड और कमजोर वाई-फाई कवरेज। धीमी नेटवर्क स्पीड के लिए प्रोवाइडर को तेज कनेक्शन के लिए कहना होगा। आप मल्टीपल इंटरनेट कनेक्शन्स को कम्बाइन कर सकते हैं। इसके लिए www.speedify.com से कनेक्टिफाई स्पीडीफाई ले सकते हैं। सॉफ्टवेयर बताता है कि कैसे वाई-फाई, डीएसएल और 3जी/4जी कनेक्शन्स को कम्बाइन कर सकते हैं। रेंज की बात करें तो वाई-फाई राउटर कई चीजों से प्रभावित होता है। इस पर प्लेसमेंट, ब्रिक वॉल्स, इलेक्ट्रोनिक्स, अप्लायंसेज आदि का असर होता है।
आपकी फोटोज और वीडियोज को छोटी स्क्रीन पर देखने पर स्पष्टता नहीं रहती। कई एंड्रॉइड फोन्स के लिए मीडिया को बड़ी स्क्रीन पर डिस्प्ले करने का तरीका है कि वायर्ड कनेक्शन का इस्तेमाल करें। पता करें कि क्या डिवाइस में एचडीएमआई या एमएचएल आउट है या नहीं। आप 500 रुपए से कम कीमत में एमएचएल या एचडीएमआई अडैप्टर खरीद सकते हैं। आपको एक अलग एचडीएमआई केबल की जरूरत भी पड़ेगी। यह आपकी स्क्रीन को टीवी पर साउंड के साथ मिरर कर देगा। दूसरे विकल्पों में मिराकास्ट (वायरलेस स्क्रीन मिरङ्क्षरग) है, पर इसके लिए कॉम्पिटिबल मीडिया प्लेयर जैसे अतिरिक्त हार्डवेयर की जरूरत पड़ती है।
शेयरिंग से पहले वीडियो एडिट करने से काफी मदद मिल सकती है।
स्मार्टफोन से कैप्चर किए गए रॉ वीडियोज बखूबी देखने लायक नहीं होते हैं। अच्छी बात यह है कि बेसिक स्मार्टफोन की मदद से आप आसानी से वीडियो एडिट कर सकते हैं। आप लेंथ ट्रिम कर सकते हैं, अलग-अलग सोर्स से वीडियो जोड़ सकते हैं, म्यूजिक ट्रैक जोड़ सकते हैं, वॉइस ओवर कर सकते हैं, कैप्शन और ट्रांजिक्शन कर सकते हैं। एंड्रॉइड के लिए kine master चेक कर सकते हैं। यह फुल फंक्शन वाला फ्री एप है, पर आपको वीडियो वाटरमार्क के साथ मिलते हैं। वाटरमार्क हटाने के लिए आपको भुगतान करना पड़ेगा। अगर आपको फाइनल वीडियो एक्सपोर्ट करने में परेशानी आ रही है तो कम रेज्योल्यूशन का एक्सपोर्ट कर सकते हैं।
अब लोग सीएफएल से एलईडी लाइट्स की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। सरकार भी इस कदम को प्रोत्साहित कर रही है। एलईडी बल्ब ज्यादा बचत करते हैं और लंबे समय तक चलते हैं। अब आप चाहें तो रेग्युलर बल्ब्स की जगह पर स्मार्ट एलईडी बल्ब इस्तेमाल कर सकते हैं। स्मार्ट बल्ब स्टैंडर्ड बल्ब की तरह इंस्टॉल हो जाता है। इसमें एक फायदा है कि इसे फोन से वाई-फाई/ ब्लूटूथ से वायरलेस तरीके से कंट्रोल कर सकते हैं। आप चाहें तो क्यूब 26 का iota (1899 रुपए) इस्तेमाल कर सकते हैं। यह आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है।
हो सकता है कि आपके पास खुद के आईओएस ? और एंड्रॉइड डिवाइस हों या आप किसी दूसरे व्यक्ति के साथ अलग प्लेटफॉर्म पर शेयङ्क्षरग करना चाहते हो, यह एक तनावभरा काम हो सकता है। लेकिन एक आसान तरीका भी है, जिसकी मदद से आप आईओएस और एंड्रॉइड के बीच में गीगाबाइट्स डाटा पलक झपकते ही शेयर कर सकते हैं। सैनडिस्क की वायरलेस कनेक्ट स्टिक इसके लिए उपयोगी है। इसमें बिल्ट इन बैटरी है और यह अपना खुद का वाई-फाई नेटवर्क तैयार करती है। आप किसी कम्प्यूटर से यूएसबी से कोई भी कंटेंट ट्रांसफर कर सकते हैं।
निजी गैजेट्स (लैपटॉप, फोन, टैबलेट) की हमारे लिए काफी वैल्यू होती है। ऐसा सिर्फ कीमत के कारण नहीं होती, बल्कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इनमें हमारी पर्सनल लाइफ स्टोरी भी स्टोर होती है। फोन या लैपटॉप खोना और इसकी रिकवरी कई लोगों के लिए अहम मुद्दा है। आप एडवांस में डिवाइस को चोरी की चिंता से मुक्त कर सकते हैं। प्रे www.preyproject.com एक फ्री टूल है, जो खोए या चोरी हुए डिवाइस को ट्रैक करने में मदद करता है। फ्री वर्जन से आप तीन डिवाइसेज को ट्रैक कर सकते हैं। इसकी ट्रैकिंग टेक्नीक काफी एडवांस्ड है।
हम में से कई लोग अपने पास म्यूजिक कलेक्शन रखते हैं, तो कुछ ऑनलाइन सर्विस से म्यूजिक स्ट्रीम करते हैं। अपने स्पीकर सिस्टम से म्यूजिक सुनने के लिए आपको इसे अपने कम्प्यूटर या फोन/टैबलेट से कनेक्ट करने की जरूरत पड़ती है। वायरलेस स्ट्रीमिंग के लिए आप ब्लूटूथ इस्तेमाल कर सकते हैं। आपके फोन, टैबलेट और लैपटॉप में पहले से ही बिल्ट इन ब्लूटूथ होता है। आपके स्पीकर सिस्टम के लिए आप ब्लूटूथ अडैप्टर ले सकते हैं, जो ऑक्स-इन जैक इस्तेमाल करके कनेक्ट हो जाता है। इससे आप वायरलेस म्यूजिक का मजा ले सकते हैं और साथ में अपने जरूरी काम पूरे कर सकते हैं।