उन्होंने कहा, इससे चिकित्सकों की उपलब्धता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने के अवसरों में वृद्धि होगी। इससे जिला स्तर के अस्पतालों की अवसंरचना का अधिकतम उपयोग होगा और मेडिकल सुविधा बेहतर होगी।
कॉलेज में प्रतिवर्ष 150 छात्रों के नामांकन की क्षमता होगी। यह परियोजना 2019-20 तक पूरी हो जाएगी और इसका निर्माण एवं परिव्यय भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के नियमों और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया जाएगा। आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज का वार्षिक परिव्यय केन्द्र शासित प्रदेश के बजट प्रावधानों के अंतर्गत संचालित किया जाएगा।