न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और सूयकांत की खंडपीठ ने याचिका में कोई मेरिट नहीं देखी, जिसमें अंतिम दौर के बावजूद खाली रहने वाली सीटों को भरने के लिए काउंसलिंग की समय सीमा बढ़ाने की मांग की गई थी। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DJHS) (Health Services Directorate) ने गुरुवार को याचिका का विरोध करते हुए इसे एक खतरनाक आवेदन के रूप में संदर्भित किया, जिसका गंभीर निहितार्थ है।
उन्होंने कहा कि यदि इसे विस्तार दिया जाता, तो यह एक बुरी मिसाल कायम करेगा। डीजेएचएस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा, यह दाखिले के लिए कट-ऑफ तिथियां घोषित किए जाने के उद्देश्य को भी कम करेगा और सभी राज्यों को प्रभावित करेगा। अदालत ने कहा कि हालांकि उसमें समयसीमा का विस्तार करने की शक्ति है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि उसे यह करना चाहिए या नहीं।