10 मंडलों के अध्यक्ष और 10 जिला प्रतिनिधि मिलाकर जिले में जिलाध्यक्ष चुनने के लिये कुल 10 वोट यानि कि मतदाता हैं। इन्हीं को जिलाध्यक्ष के चुनाव में वोट डालना है। पर बुधवार को जब जिलाध्यक्ष पदके लिये नामांकन शुरू हुआ तो किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि हर कोई इस कुर्सी का सपना पाले है। कयास लगाए जा रहे थे कि उम्मीदवारों की संख्या चार से पांच तक जा सकती है। पर जब नामांकन के लिये दावेदार पहुंचने लगे तो प्रत्याशियों और उनके समर्थकों की भीड़ जिला कार्यालय पर जमा हो गयी। जिला कार्यालय के पास हाइवे पर लग्जरी गाड़ियों की कतारें दिखने लगीं।
एक के बाद एक कुल 20 नामांकन दाखिल हो गए तो चुनाव अधिकारियों का भी माथा ठनक गया। दावेदारी करने वालों में रमेश जायसवाल, शिव तपस्या पासवान, उदय प्रताप सिंह पप्पू, राम सुंदर चौहान, शिव शंकर पटेल, सत्यप्रकाश गुप्ता, रामजी तिवारी, काशीनाथ सिंह, अभिमन्यू सिंह, अनिल तिवारी, सुजीत जायसवाल, सुभाष सोनकर, अनिल कुमार तिवारी, प्रमोद चौबे, राजेश सिंह, जैनेंद्रधर दुबे, सुनील श्रीवास्तव, देवेंद्र प्रताप सिंह, राकेश कुमार सिंह व डा. शंभूनाथ के नाम शामिल हैं।
जिलाध्यक्ष पद के लिये फैसला 23 से 25 नवंबर के बीच होगा। निर्वाचन अधिकारियों के मुताबिक पहले दाखिल किये गए नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी होगी उसके बाद ओपिनियन लिया लियाजाएगा। जांच कर रिपोर्ट स्टेट कमेटी को भेज दी जाएगी। उधर मतदाताओं के बराबर नामांकन हो जाने के बाद न सिर्फ भाजपा में बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
By Santosh Jaiswal