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1500 रुपये किलो का शुुगर फ्री चावल, इन-इन बीमारियों के लिये है रामबाण

locationचंदौलीPublished: Dec 04, 2018 04:12:29 pm

प्रयोग के तौर पर ही चावल की इस बेहद खास प्रजाति ने किसानों की उपज की दोगुनी, इंटरनेशनल राइस इंस्टीट्यूट की टीम ने लिया सैंपल।

Black Sugar Rice

ब्लैक शूगर फ्री चावल

चंदौली . धान का कटोरा कहे जाने वाले यूपी के चंदौली जिले के किसानों के दिन बहुरने वाले हैं। यहां के किसानों के पैदा किये एक खास चावल ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह चावल धान के कटोरे को सोने की खान बना देगा, ऐसा कहा जा रहा है। चावल की कीमत मामूली नहीं, यह 500 रुपये किलो से भी ज्यादा के रेट में बिकेगा। विदेशों में इसकी कीमत 1000 से 1500 के बीच मिल सकती है, ऐसा दावा किया जा रहा है। इस बेहद खास शुगर फ्री चावल को किसानों ने यूं तो प्रयोग के तौर पर लगाया था। पर वही अब चंदौली के धान के किसानों को करोणपति बनाने वाला साबित हो सकता है। चावल की खूबियां जानने के लिये इंटरनेशनल राइस इंस्टीट्यूट की टीम और विदेशी वैज्ञानित भी वहां पहुंच रहे हैं।
 

क्या है शुगर फ्री ब्लैक राइस

चंदौली के किसानों का जो चावल धूम मचा रहा है उसे ‘शुगर फ्री ब्लैक राइस’ कहते हैं। मूल रूप से चावल की यह प्रजाति मणिपुर में बोई जाती है। इसका नाम ‘चाक हाओ’ है। चंदौली जिले की मिट्टी धान के लिये बेहद मुफीद है, जिसके चलते यहां इसकी पैदावार ज्यादा होती है। यही वजह है कि इसे धान का कटोरा कहते हैं। यहां की इस शुगर फ्री ब्लैक राइस के अनुकूल निकली और इसकी उपज अन्य प्रजाति के बीज की अपेक्षा ज्यादा हो रही है।
Black Sugar Rice
 

ये हैं फायदे

कृषि अधिकारी बताते हैं कि मूल रूप से शुगर फ्री ब्लैक राइस प्रजाति का चावल मधुमेह रोगियों के लिये रामबाण है। इसमें एंटी ऑक्सिडेंट, जिंक और आयरन की मात्रा काफी पायी जाती है। अपने औषधीय गुणों के चलते यह बेहद खास है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे शरीर को हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, आर्थराइटिस, एलर्जी और कैंसर जैसे रोगों से लड़ने में काफी मदद मिलती है। अपने इन गुणों के चलते ही यह चावल बेहद खास है।
Black Sugar Rice
 

40 किसानों पर किया गया प्रयोग

ब्लैक शुगर फ्री (चाक हाओ) प्रजाति का धान पहले चंदौली में नहीं बोया जाता था। यहां के जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल के प्रयासों और केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी के सहयोग से यहां के चुनिंदा किसानों को इसका बीज लाकर दिया गया। इसकी बुआई की प्रक्रियाऔर खाद पानी के इस्तेमाल से भी अवगत कराया गया। किसानों ने इसे दूसरे धान की तरह ही बोया। यहां कि मिट्टी की अनुकूलता के चलते यह प्रयोग सफल साबित हुआ और आज किसानों के खेत में ब्लैक शुगर फ्री चावल की फसल पककर लहलहा रही है।
Black Sugar Rice
 

रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं

ब्लैक राइस में रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया गया है। कृषि वैज्ञानित की मानें तो रासायनिक खाद अनाज के औषधीय गुणों पर असर डालती है। इस प्रजाति के धान में रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसकी जगह किसानों को वर्मी कम्पोस्ट और नीम ऑयल इस्तेमाल करने की सलाह दी गयी। इसके प्रयोग से किसानों की उपज किसी भी दूसरी प्रजाति के मुकाबले बहुत ज्यादा हुई। इससे जहां जमीन की उत्पादकता पर भी असर नहीं पड़ा, वहीं औषधीय गुण भी नहीं प्रभावित हुए जो इसे खास बनाते हैं।
Black Sugar Rice
 

फिलिपिंस की वैज्ञानिक के साथ पहुंची इंटरनेशनल राइस इंस्टीट्यूट की टीम

इस चावल के औषधीय गुणों की महक विदेशों में भी पहुंच चुकी है। खेतों में पक चुकी शुगर फ्री ब्लैक राइस की फसल को देखने इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की वाराणसी हेड और फिलिपींस की डॉ. अहमद जरीना के नेतृत्व में एक टीम पहुंची। चंदौली की सदर तहसील के दिघवट गांव का दौरा कर टीम ने इसके औषधीय गुणों व उत्पादन प्रक्रिया जानी। टीम इसका सैंपल भी ले गयी, जिसकी जांच कर इसके और औषधीय गुणों की एक रिपोर्ट तैयार करेगी।
Black Sugar Rice
 

क्या कहते हैं किसान

इस प्रजाति का धान बोने वाले चालीस किसानों में से एक राम अवध मौर्य ने बताया कि इस पहले उन्हें यकीन नहीं हो पाया था। पर अब इसकी पैदावार देखकर लगता है कि यह प्रजति उनके धान के कटोरे को सोने की खान बना देगी। बताया कि ऑर्गेनिक खेती के जरिये उगाया गया यह चावल बाजार में हाथों-हाथ लिया जाएगा, और इसकी कीमत भारतीय बाजार में 500 से 600 रुपये तक मिल जाएगी, जबकि विदेशी बाजार में इसकी कीमत कहीं ज्यादा होगी, ऐसा बताया गया है।
क्या कहते हैं कृषि अधिकारी

कृषी उपनिदेशक चंदौली विजय सिंह ने बताया इस प्रजाति में जिंक और आयरन की मात्रा अधिक होने से यह औषधीय गुणों में दूसरी प्रजातियों से आगे है। बड़ी बात यह कि जिले की मिट्टी इसके लिये अनुकूल निकली। किसानों ने भी यह महसूस किया कि इसकी बुआई से उन्हें फायदा हो सकता है। आगे यह प्रयोग इस क्षेत्र में क्रांति लाने वाला है।
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट में होगा शामिल

जिलाधिकारी का कहना है कि चंदौली जिला देश के अति पिछड़े जिलों में गिना जाता है। यहां रोजगार का मुख्य साधन खेती है। इसमें नए प्रयोगों की आवश्यकता है। इसी तरह से खेतों में पैदावार बढ़ाकर किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। ब्लैक राइस के उतपादन से धान के कटोरे को नई पहचान दिलाने की कोशिश की गयी है, जो कामयाब होती नजर आ रही है। उन्होंने बताया कि सितम्बर 2018 को सीएम योगी आदित्यनाथ आए थे तो उन्हें भी इसके बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने इसके उत्पादन और बिक्री का पूरा प्लान तैयार कर भेजने को कहा था ताकि इसे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के तहत स्थापित किया जा सके।
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