तब तक अनेकों वनकर्मियो पुलिस पी ए सी के जवानो राजनीतिक व नागरिकों की खूनी होली नक्सलियो ने खेलकर उनकी महिलाओं का मांग उजाडा़ तो बच्चो के सर पर से बाप का साया छीन लिया। 4 वर्ष 6 माह तक क्षेत्र में छाए रहे नक्सलियो के कहर से हर सख्श भय एवं दहशत के साए में जीवन यापन करता रहा। जिसके रोकथाम के लिए केन्द्र व राज्य सरकार के माथे पर बल पड़ गया। और सरकारो ने क्षेत्र के विकास के लिए अपने अपने खजाना का पिटारा खोल दिया।क्षेत्र के हो रहे विकास कार्यों की निगरानी किए जाने के साथ ही गरीब मजलूमो के दूःख दर्द की आवाज़ संबन्धित विभागीय जिम्मेदारानो तक उठाकर के सीआरपीएफ ने विकास की धार को गति प्रदान होने मे अपना अमूल्य योगदान दिया।
साथ ही समय समय पर सिविक एक्सन प्रोग्राम आयोजित करके पिछड़े हुए ईलाकों के रहनुमा सैकड़ों गरीबों को आंखो की रोशनी व अन्य आवश्यक आवश्यकता का सामान मुहैया कराने के साथ ही कांबिंग अभियान चलाकरके नक्सलियो के नापाक मंसूबो को बेनकाब कर दिया। वहीं समाज की मुख्य धारा से भटककर जंगल की राह पकड़ने वाले लोगो को जमानत पर रिहा होने के बाद उन्हें नक्सलवाद समस्या का समाधान नहीं का ककहरा पढाकर के सामान्य जन जीवन ब्यतीत करने की ओर अग्रसर किया।
देश के 126 जिलों मे ब्याप्त रहे नक्सलवाद मे से अब 44 जिलों को नक्सल मुक्त कर गृहमंत्रालय भारत सरकार ने देश के 4 राज्यो मे तैनात सी आर पी यफ के करीब 7 हजार जवानो को हटाकर छत्तीसगढ़ राज्य मे नक्सली हिंसा की चुनौती से निपटने का फैसला किया है। जबकि प्रदेश सरकार का मानना है कि उत्तर प्रदेश के नक्सलप्रभावित रहे 3 जिलो सोनभद्र चन्दौली व मिर्जापुर मे वर्ष 2004 मे सीआरपीएफ के जवानो को तैनात किए जाने के बाद ही शांति कायम हो पाया है।वही पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि सी आर पी एफ को हटाए जाने के बाद विन्द्धय व सोन पर्वत श्रृखंलाओ मे नक्सली फिर से पांव पसार सकते हैं। जबकि गृह मंत्रालय का तर्क है कि प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से क्षेत्र का विकास व सुरक्षा कायम करे।
समाचार पत्रों व अन्य संसाधनों से सीआरपीएफ को हटाए जाने की गृहमंत्रालय का फरमान होने संबंधी जानकारी होने पर लोगो के जेहन मे एकबारगी पुनः नक्सली वारदातो की याद ताज़ा होती जा रही है। क्योंकि छत्तीसगढ़ झारखंड व मध्यप्रदेश तथा बिहार राज्य की सीमाएं जनपद चन्दौली मिर्जापुर व सोनभद्र की सीमाओं से सटी है। सोनभद्र चन्दौली मिर्जापुर जिलो में नियुक्त सीआरपीएफ से भयभीत नक्सलियों का आवाजाही काफी कम होने के साथ ही किसी भी अप्रिय वारदात को अंजाम देने से काफी पीछे हटे है। जो कि समीपवर्ती राज्यो से भागकर विन्धय व सोन पर्वतीय श्रृंखला क्षेत्र को शरणस्थली बनाकर भय व दहशत का माहौल कायम करके अशांति फैला सकते हैं।