scriptलाल सलाम के पोस्टर से नौगढ़ में दहशत, 2004 के नक्सली हमले में शहीद हुए थे 16 पुलिस वाले | Lal Salam Posters Found in Naxal Affected Area of UP Chandauli | Patrika News

लाल सलाम के पोस्टर से नौगढ़ में दहशत, 2004 के नक्सली हमले में शहीद हुए थे 16 पुलिस वाले

locationचंदौलीPublished: Nov 15, 2020 11:27:59 am

पुलिस मान रही शरारती तत्वों की करतूत
पोस्टर में वन विभाग के खिलाफ एकजुटता की है अपील?
पिछले चार दिनों से चिपकाए जा रहे हैं पोस्टर

lal salam chandauli

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

चंदौली. बिहार की सीमा से सटे यूपी के चंदौली जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र नौगढ़ इलाके में एक बार फिर नक्सली मूवमेंट से लोगों में खाैफ है। यहां पिछले चार दिनों से जगह-जगह लाल सलाम के पोस्टर चिपकाए जाने से लोग दहशत में हैं। हालांकि पुलिस अभी इसे किसी की शरारत कह रही है, लेकिन इसकी जांच पड़ताल की जा रही है। जिले में 2004 में हिनौतघाट माइंस ब्लास्ट की घटना के बाद से कोई नक्सली घटना नहीं हुई है। इस घटना में 16 पुलिस के जवान मारे गए थे। हालांकि उसके बाद नक्सलियों की सक्रियता न के बराबर रही।


2004 के बाद किसी नक्सली घटना के न होने से और नक्सल मूवमेंट शून्य होने से सुरक्षित महसूस कर रहे लोगों की एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। बिहार की सीमा से सटे नौगढ़ और चकरघट्टा थानाक्षेत्र की सीमा में नौगढ़ धनकुवारी मार्ग पर चट्टी-चौराहों व आसपास भाकपा माओवादी लाल सलाम के पोस्टर पिछले चार दिनों से चिपकाए जा रहे हैं। इन पोस्टरों में वन विभाग के कार्यों के खिलाफ एकजुट होन की अपील हो रही है। उधर इस संबंध में सीओ ऑपरेशंस नीरज सिंह पटेल ने मीडिया से कहा है कि प्रथम दृष्टया ये किसी की शरात लगती है। हालांकि पोस्टर चस्पा किये जाने के मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है।


नक्सली गतिविधियों के दिन देख चुके इलाके के लोगों में एक बार फिर इस तरह के पोस्टर चस्पा किये जाने के के चलते दहशत का माहौल है। माना जा रहा है कि बिहार चुनाव में कई वामपंथी विधायकों के चुने जाने के बाद माओवादियों को बल मिल सकता है और उनकी सक्रियता भी बढ़ सकती है।


2004 में मारे गए थे 16 पुलिस के जवान

फिलहाल चंदौली के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कोई बड़ी नक्सली गतिविधी तो नहीं हुई, लेकिन 20 नवंबर 2004 को हिनौतघाट में भीषण माइंस विस्फोट किया था। इस हमले में 16 पुलिस के जवान शहीद हुए थे। हालांकि इसके बाद हुई ताबड़तोड़ कार्रवाईयों के चलते नक्सली मूवमेंट बिल्कुल ही सिमट गया। 2017 में चंद्रप्रभा रेंज के धुसुरिया जंगल में टिफिन बम मिलने की घटना हुई, लेकिन जांच में उसे पुराना और जंग लगा घोषित किया गया था। तब से इलाके में पुलिस और सीआरपीएफ नक्सली मूवमेंट को फिर सर उठाने से रोकने में कामयाब रही है।

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