शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार की सुबह आठ बजे चंदौली के बहादुरपुर स्थित पैतृक गांव पहुंचा तो पिता परिवार में कोहराम मच गया। पिता हरिकेश यादव, पत्नी शिल्पी और भाई का रो-रोकर बुरा हाल रहा। शव पहुंचने के पहले ही वहां अपने हीरो के अंतिम दर्शन करने के लिये उमड़ी भीड़ की आंखें नम थीं और गुस्से से मुटि्ठयां भींची हुईं। अंतिम संस्कार की तैयारी की जाने लगी और घर के नजदीक मैदान में शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिये रखा गया।
हजारों की तादाद में लोग शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल होने बहादुरपुर पहुंचे। दो दिनों से जिस पिता ने खुद को रोक रखा था बेटे का पार्थिव शरीर देखते ही वह फफककर रो पड़े तो विधायक सुशील सिंह ने उन्हें संभाला। छोटे भाई ने शहीद को भीगी आंखों से पुष्प अर्पित किये। पत्नी शिल्पी यादव ने जब पति को आखिरी बार देखा तो बिलखकर रो पड़ीं और पास ही बेसुध होकर लेट गयीं। रोते-रोते बेहोश हो गयी तो परिजन किसी तरह उन्हें संभालकर अंदर ले गए।
अपने बाबा की गोद में शहीद का बेटा हाथ में माला लिये आखिरी बार पिता का चेहरा देखने और श्रद्धांजलि देने पहुंचा तो क्या सीआरपीएफ और क्या परिजन व जनता पूरी भीड़ रो पड़ी। मासूम को ये पता भी नहीं था कि इसके बाद वह पिता को कभी देख नहीं पाएगा। बच्चा पिता के पार्थिव शरीर मंत्री जय प्रकाश निषाद, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्रनाथ पाण्डेय, विधायक सुशील सिंह, साधना सिंह और पूर्व सपा सांसद रामकिशुन सहित दर्जनों नेताओं ने शहीद को पुष्प अर्पित किये। सीआरपीएफ के जवानों की सलामी के बाद शवयात्रा निकाली गयी तो लगा की पूरा शहर उमड़ पड़ा है। हर कोई शव को कांधा देना चाह रहा था। गांव से आधा किलोमीटर दूर गंगा घट तक भारी भीड़ के साथ शवयात्रा पहुंची और वहां पिता हरिकेश यादव ने बेटे की चिता को मुखाग्नि दी। चिता में अग्नि लगते ही वहां शहीद अवधेश याव अमर रहें के नारे गुंजायमान हो उठे। बनारस से भी नाव पर सवार होकर लोग अंतिम संस्कार में पहुंचे थे।
शहीद के पिता के पिता बोले ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाय पुलवामा हमले में शहीद अवधेश यादव के पिता हरिकेश यादव ने बताया कि उनके बेटे के अंदर देशप्रेम का जज्बा कूट-कूटकर भरा था। सीआरपीएफ में भर्ती होने के लिये उसने पुलिस भर्ती को भी छोड़ दिया था। कहा कि मुझे फख्र है कि मेरा बेटा देश के लिये शहीद हुआ। इस दौरान घटना से नाराज हरिकेश यादव ने कह कि अब ईंट का जवाब पत्थर से देने का समय है, ताकि फिर कोई ऐसी घटना न हो और किसी का बेटा इस तरह न मारा जाए। जो हम झेल रहे हैं कोई और न झेले।
परिवार की जिम्मेदारी सीआरपीएफ पर अंतिम संस्कार में आए 148 बटालियन सीआरपीएफ कमांडेंट आरके चौधरी ने कहा कि शही के परिवार की जिम्मेदारी अब सीआरपीएफ की है। उनके परिवार की हर संभव मदद की जाएगी। भारत सरकार से जितनी भी सहायता हो सकती है दी जा रही है और पूरा सीआरपीएफ परिवार उनके परिवार के साथ खड़ा है।
By Santosh Jaiswal