बासमती की कीमतें लुढ़की
इराक, साउदी अरब, यमन, दुबई व सीरिया सहित अन्य देशों में भारतीय बासमती चावल की पूरी डिमांड है। मगर अमेरिका-इरान के विवाद के चलते भारतीय बासमती चावल का निर्यात अटक गया है। यही नहीं निर्यातक एसोसिएशन ने दोनों देशों के विवाद को देखते हुए अगले कुछ दिनों तक चावल का निर्यात रोकने का फैसला लिया है। इस घटनाक्रम के कारण प्रदेश की मंडियों में बासमती धान की कीमतों में 150 रुपये से 300 रूपये तक की कमी आ गई है। चावल की कीमतों में भी 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की कमी दर्ज की गई है। यूरोप में पहले से ही भारतीय चावल निर्यात पर बैन है, अब अरब देशों में चावल निर्यात करीब-करीब बंद होने से नियाज़्तकों को भारी नुकसान हो सकता है।
भारतीय चावल उद्योग पर प्रतिकूल असर
हरियाणा राइस मिल एसोसिएशन के चेयरमैन ज्वैल सिंगला ने बताया कि अमेरिका-ईरान के विवाद के चलते भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर असर पड़ रहा है। हर रोज ईरान को एक से डेढ़ हजार करोड़ के चावल का निर्यात हो रहा था, लेकिन दोनों देशों के बीच विवाद के चलते हजारों टन चावल बंदरगाहों पर फंस गया है। यदि ईरान व अमेरिका के बीच माहौल ठीक नहीं हुआ तो भारतीय चावल उद्योग पर विपरीत असर पड़ेगा।
34 फीसदी ईरान को होता है निर्यात
राइस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि ईरान में भारतीय चावल की सबसे ज्यादा खपत होती है। अकेले ईरान में 34 फीसदी चावल का निर्यात होता है। पिछले साल 14 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। मगर दोनों देशों के बीच माहौल खराब होने के चलते भारतीय चावल उद्योग पर असर पड़ रहा है। अभी हाल ही में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ईरान के व्यापारियों व राजनीतिज्ञों से मिला था और अटका हुआ भुगतान दिलाने की मांग रखी थी।
50 हजार टन चावल अटका बंदरगाहों पर
करीब 50 हजार टन से अधिक का चावल बंदरगाहों पर अटका हुआ है। निर्यातकों के अनुसार पूरे देश से करीब 36 चावल निर्यातकों ने अपने चावल का निर्यात रोक लिया है। इनके करीब 50 हजार टन चावल के कंटेनर बंदरगाह पर फंस गए हैं। साथ ही बाहर से खरीददारों ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। एक अनुमान के अनुसार हर तीसरे दिन एक समुद्री जहाज चावलों से भरकर इन देशों में जा रहा था। जो अब बंद हो गया है।