जनता में अपनी लोकप्रियता जानने में जुटी आप और कांग्रेस
सत्तारूढ कांग्रेस ने पंचायत चुनाव पार्टी के चिन्ह पर लडने का फैसला किया है। समझा जा रहा है कि कांग्रेस अगले वर्ष होने जा रहे लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में अपनी सरकार के करीब डेढ साल के कार्यकाल की लोकप्रियता परख लेना चाहती है। आम आदमी पार्टी भी इसी तरह कांग्रेस के मुकाबले में आकर जनता के बीच अपनी स्थिति जांच लेना चाहती है। हालांकि कांग्रेस ने पिछले साल मार्च में सत्तारूढ होने के बाद लोकसभा और विधानसभा के एक-एक उपचुनाव में आम आदमी पार्टी और अकाली दल को करारी शिकस्त दी है। इन उपचुनावों में हार को लेकर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने केन्द्रीय नेतृत्व की आलोचना भी की है।
सिमटती जा रही पार्टी
आम आदमी पार्टी ने पंजाब में स्वयं को एक विकल्प के रूप में पेश किया था। विधानसभा चुनाव से पहले वह सत्ता के मजबूत दावेदार के रूप में आई थी। लेकिन मतभेदों और प्रदेश के नेताओं के केन्द्रीय नेतृत्व के रूख से असहमत होने के चलते पार्टी का जनाधार सिमटता गया और सौ विधानसभा सीट जीतकर सरकार बनाने का दावा करने वाली पार्टी मात्र 20 सीटें ही हासिल कर पाई। पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले टिकट वितरण और अन्य तौर-तरीकों को लेकर उभरे मतभेदों से पार्टी में पैदा हुए बिखराव की तरह ही आज पार्टी मतभेदों और गुटबाजी में फंसी हुई है। सिख पंथ के मुद्दे पर ही पार्टी में मतभेद हैं और अकाली दल को पीछे धकेलने के मुद्ये पर पार्टी एकराय नहीं है।
फूलका के फैसले से किया किनारा
जहां पार्टी के दाखा से वरिष्ठ विधायक एचएस फूलका ने 15 सितम्बर तक गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी और सिख प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल,पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी और डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाफ मुकदमा दर्ज न किए जाने पर 16 सितम्बर को विधानसभा से इस्तीफा देने का प्रदेश की कैप्टेन अमरिंदर सिंह सरकार को अल्टीमेटम दिया है वहीं पार्टी के प्रदेश संयोजक भगवन्त मान का कहना है कि यह फूलका का निजी फैसला है। मान द्वारा पंचायत चुनाव की रणनीति तय करने के लिए आयोजित बैठक में सुखपाल खैहरा गुट के आठ विधायक व एचएस फूलका भी शामिल नहीं थे।
इस दिन होने है चुनाव
इधर सुखपाल खैहरा गुट ने भटिंडा में आयोजित रैली के बाद रविवार को भी मोगा में बडी जनसभा का आयोजन किया ओर केन्द्रीय नेतृत्व से अपील दोहराई कि पंजाब इकाई को अपने फैसलों के लिए स्वतंत्रता दी जाए। पंजाब में 22 जिला परिषद और 150 पंचायत समितियों के चुनाव आगामी 19सितम्बर को कराए जायेंगे।