अकाली दल ने हरियाणा में पिछला विधानसभा चुनाव इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन में लडा था। कुल दो सीटों पर चुनाव लडने पर अकाली दल को एक सीट मिली थी। लेकिन बाद में सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर के निर्माण के मुद््दे पर इंडियन नेशनल लोकदल ने अकाली दल के साथ अपना गठबंधन तोडने का ऐलान कर दिया था। लेकिन इंडियन नेशनल लोकदल के साथ अकाली दल का यह गठबंधन फिर बहाल हो सकता है। इसका कारण यह है कि दोनों दलों के नेताओं के पारिवारिक सम्बन्ध है। इंडियन नेशनल लोकदल के नेता चैधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बीच गहरे पारिवारिक सम्बन्ध थे और वे आगे की पीढियों के बीच भी बने हुए है।
इंडियन नेशनल लोकदल और अकाली दल के बीच एकमात्र बडी बाधा सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर के मुद््दे पर अलग-अलग राज्य के हितों के लिए काम करने को लेकर है। अकाली दल का रूख है कि सतलुज-यमुना सम्पर्क नहर का निर्माण किसी भी सूरत में नहीं किया जाना चाहिए। अगर इस नहर का निर्माण किया गया तो पंजाब का नदी जल हरियाणा को देना पडेगा। उधर इंडियन नेशनल लोकदल पंजाब की नदियों से हरियाणा के हिस्से का पानी लाने के लिए नहर निर्माण की मांग को लेकर इन दिनों गिरफ््तारी आंदोलन चला रहा है। इंडियन नेशनल लोकदल ने अकाली दल से समबन्ध भी तब तोडे थे जबकि सत्तारूढ रहते हुए अकाली दल ने नहर निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि किसानों को बगैर मुआवजा वसूल किए लौटाने का विधेयक पारित कर दिया था।
अकाली दल यदि गठबंधन में चुनाव लडना चाहेगा तो भाजपा उसके साथ कुछ सिख बहुल सीटों का बटवारा कर सकती है। पंजाब में अकाली दल-भाजपा का गठबंधन है और राष्ट््ीय स्तर पर भी अकाली दल एनडीए में शामिल है। पंजाब में भाजपा के साथ रहते हुए जब अकाली दल हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ चुनाव लडता था तो बडा विरोधाभास दिखाई देता था।
हरियाणा भाजपा के नेता भी असमंजस में फंसे दिखाई देते थे। अब संभव है कि अकाली दल अपने पंजाब के सहयोगी के साथ ही मिलकर चुनाव लडे। फिलहाल अकाली दल हरियाणा की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लडने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए पार्टी के जिला अध्यक्ष व बूथ अध्यक्ष नियुक्त किए जा रहे है।