पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से मौन पार्टी नेता मुद्दा गंभीर होने के कारण पहली बार बोले है। यहां गुरूवार रात आयोजित पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में तोता सिंह, प्रेम सिंह चंदूमाजरा और सेवा सिंह सेखों जैसे नेताओं ने पार्टी नेतृत्व के फैसले पर सवाल उठाए हैं। इन नेताओं ने यह भी खुलासा किया कि कैसे रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट कांग्रेस को पंथ समर्थक और अकाली दल को पंथ विरोधी साबित कर रही है। अकाली दल और सहयोगी भाजपा के विधायक पार्टी का बचाव करने में नाकाम रहे है।
कोर कमेटी की बैठक में अपने विचार रखने वाले नेताओं ने कहा कि विधानसभा में रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट पर बोलने के लिए पार्टी को हालांकि मात्र चौदह मिनट मिले थे लेकिन पार्टी को वाकआउट करने के बजाय चर्चा में शामिल होना चाहिए था। चर्चा में भाग लेकर पार्टी और पार्टी के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल का बचाव करना चाहिए था। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने प्रकाश सिंह बादल पर ही निशाना साधा था। पार्टी नेताओं की यह राय थी कि कांग्रेस ने रणजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को राजनीतिक दस्तावेज की तरह इस्तेमाल कर अकाली दल को पंथ विरोधी साबित करने में सफलता हासिल की है।
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