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हाडकंपा देने वाली सर्दी में ब्रह्मसरोवर में किया स्नान

locationचंडीगढ़ पंजाबPublished: Dec 26, 2019 06:29:17 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

महाभारत की रणभूमि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र ( Religious City ) में हाड़कंपा देने वाली ठंड की परवाह किए बिना देश-विदेश से पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं ने (Devotees tak a dip ) पवित्र सन्निहित व ब्रह्मसरोवर में श्रद्धा की डुबकी लगाई। सूर्य ग्रहण ( Soalr Eclips ) के दौरान श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना ( Worship ) के साथ सूर्य को अघ्र्य दिया।

हाडकंपा देने वाली सर्दी में ब्रह्मसरोवर में किया स्नान

हाडकंपा देने वाली सर्दी में ब्रह्मसरोवर में किया स्नान

चंडीगढ़(संजीव शर्मा): महाभारत की रणभूमि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र ( Religious City ) में हाड़कंपा देने वाली ठंड की परवाह किए बिना देश-विदेश से पहुंचे लाखों श्रद्धालुओं ने (Devotees tak a dip ) पवित्र सन्निहित व ब्रह्मसरोवर में श्रद्धा की डुबकी लगाई। सूर्य ग्रहण ( Soalr Eclips ) के दौरान श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना ( Worship ) के साथ सूर्य को अघ्र्य दिया।

दो बार किया स्नान
इस बार मूल नक्षत्र धनु राशि में सूर्य ग्रहण लगा है। हालांकि ठंड व कोहरे के बीच सूर्य देव के दर्शन नहीं हुए। इसके बावजूद भी श्रद्धालुओं ने श्रद्धा व आस्था को धारण का सन्निहित व ब्रह्मसरोवर में स्नान किया।
गुरुवार को ब्रह्मसरोवर के उत्तरी घाट पर शंखनाद व मंत्रोच्चारण के बीच नागा साधुओं ने शाही स्नान किया। इसके बाद ब्रह्मसरोवर में श्रद्धालुओं के स्नान का सिलसिला शुरू हुआ। करीब 2 घंटे 36 मिन सूर्य ग्रहण का प्रभाव रहा। सुबह 11 बजकर सात मिनट जैसे ही आंशिक सूर्य ग्रहण हुआ तो श्रद्धालुओं ने दोबारा मोक्ष की डुबकी लगाई और पूजा-अर्चना की।

डुबकी से मिलता है पुण्य
धार्मिक मान्यता के अनुसार सन्निहित व ब्रह्म सरोवर में सूर्य ग्रहण के अवसर पर डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना पुण्य अश्वमेघ यज्ञ को करने के बाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय सभी देवता यहां कुरुक्षेत्र में मौजूद होते हैं। ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर ब्रह्मा सरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सुरक्षा के किए इंतजाम
इसी धारणा को मन में लिए भजन गाते और जयघोष करते हुए शंखनाद की ध्वनि के बीच श्रद्धालु सरोवरों के पवित्र जल में डुबकी लगा गई। यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए प्रशासन की ओर व्यापक इंतजाम किए थे। स्नान के दौरान दोनों सरोवरों में मोटरबोट लोगों को गहरे पानी में न जाने के लिए सचेत करती रही। जिसके चलते मेले के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। मंदिरों में सूर्यदेव का जयघोष और शंख ध्वनि गूंज उठे। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने अनाज, कपड़े, पैसे, फल इत्यादि दान किए।

पुरोहितों ने कराए पिंड दान
सरोवरों पर बैठे पुरोहितों ने हजारों यात्रियों को बारी-बारी बैठाकर उनके पूर्वजों के निमित्त पिंडदान व अन्य कर्मकांड संपन्न करवाए। सूर्यग्रहण का पुराणों में जिक्र है कि राहु द्वारा भगवान सूर्य के ग्रस्त होने पर सभी प्रकार का जल गंगा के समान, सभी ब्राह्मण ब्रह्मा के समान हो जाते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दान की गई सभी वस्तुएं भी स्वर्ण के समान होती हैं।

भगवान श्रीकृष्ण व यशोदा-राधा का हुआ था मिलन
वैदिक धाम ज्योतिष एवं साधना केंद्र के संचालक पंडित पवन शर्मा के अनुसार महाभारत की एक कथा के मुताबिक इसी मोक्षदायिनी भूमि पर भगवान श्रीकृष्ण व यशोदा मैय्या-राधा का आखिरी बार मिलन हुआ था। भगवान श्री कृष्ण के मथुरा छोडऩे के बाद अपने माता-पिता व गोकुलवासियों को मिलने का वादा किया था, इसके बार सूर्य ग्रहण के अवसर पर यशोदा, नंद बाबा व देवी राधा से आखिरी मुलाकात हुई थी। यही नहीं सभी गोपियों संग भगवान श्रीकृष्ण ने पवित्र ब्रह्मसरोवर में स्नान किया था। गोपियों से मिलने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की कुंती व द्रौपदी सहित पांचों पांडवों से भेंट हुई।

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