मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में कोविड मामले रोज़ाना बढ़ रहे हैं। सितम्बर में इसका शिखर होने के अनुमान हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि ऐसे हालातों में वह विद्यार्थियों के जीवन को जोखि़म में डालने के लिए तैयार नहीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इन नाजुक हालातों में विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए एकत्र करने का जोखि़म कैसे उठा सकते हैं? उन्होंने कहा कि यू.जी.सी. द्वारा सुझाए गए विकल्प के अनुसार इम्तिहान ऑनलाइन नहीं करवाए जा सकते, क्योंकि पंजाब में विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों और पिछड़े वर्गों में ज़्यादातर विद्यार्थियों के पास किफायती और निर्विघ्न इन्टरनेट कनेक्टिविटी की पहुँच नहीं है।
उन्होंने इस मामले पर विचार करने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा की गई मीटिंग में ज़ोर देते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति में इम्तिहान करवाना संभव नहीं। तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी ने मुख्यमंत्री के इस विचार कि मौजूदा स्थिति में इम्तिहान सुरक्षित ढंग से नहीं करवाए जा सकते, के साथ पूरी तरह सहमति अभिव्यक्त की। इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इस मामले पर अन्य 7 राज्यों ने पहले ही केंद्र सरकार के पास अपनी, चिंताएं ज़ाहिर की हैं, कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि वास्तव में कांग्रेस सरकार के नेतृत्व वाले सभी राज्यों ने इस सम्बन्धी केंद्र सरकार के पास पहुँच करने का फ़ैसला किया था। मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा को भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार में अपने समकक्ष को पत्र लिखने के लिए कहा। उन्होंने विभिन्न संस्थाओं के उप कुलपतियों से अपील की कि वह कोविड संकट के मद्देनजऱ परीक्षाएं करवाने सम्बन्धी जोखि़म की रौशनी में इम्तिहानों को रद्द करने के लिए यू.जी.सी. को भी लिखें।
शिक्षा सचिव राहुल भंडारी ने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि उन्होंने पहले ही यू.जी.सी. के चेयरमैन को 6 जुलाई, 2020 को आखिरी सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाने सम्बन्धी जारी किए गए यू.जी.सी. के दिशा-निर्देशों पर फिर विचार करने के लिए पत्र लिखा था। उन्होंने लिखा, ‘‘कोविड-19 संकट और रोज़ाना की मरीज़ों की बढ़ रही संख्या को ध्यान में रखते हुए इम्तिहान करवाने की संभावना दूर-दूर तक संभव नहीं लगती। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़्यादातर यूनिवर्सिटी और कॉलेज के होस्टल खाली करवा लिए गए थे और कोविड केयर सैंटरों के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे थे और अब तक नियमित रेल व बस सेवाएं चालू नहीं की गई थी, जिससे विद्यार्थियों के लिए परीक्षा देने के लिए आना संभव नहीं लगता।
जि़क्रयोग्य है कि पंजाब सरकार ने पिछले सेमेस्टरों की कारगुज़ारी के आधार पर डिग्री और डिप्लोमा देने और विद्यार्थियों को प्रमोट करने के अपने फ़ैसले का पहले ही ऐलान कर दिया था। अपनी कारगुज़ारी में सुधार करने के इच्छुक विद्यार्थियों को हालात सुखद होने पर परीक्षा देने की आज्ञा दी जाएगी।