उन्होंने बताया कि न्यायालय के निर्देशानुसार लाउडस्पीकर और जन संबोधन प्रणाली का इस्तेमाल, किसी सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव को छोड़कर (रात दस बजे से 12 बजे तक) रात दस बजे से सुबह छह बजे तक नहीं होना चाहिए। सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव को दी गई यह छूट साल में 15 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए लाउडस्पीकर के लिए शोर का स्तर दस डेसिबल (ए) से अधिक नहीं हो तथा किसी निजी स्थान के मामले में यह स्तर पांच डेसिबल (ए) से अधिक नहीं होना चाहिए।
पुलिस अधिकारियों को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि आपातकालीन स्थिति को छोड़कर आवासीय क्षेत्रों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच साईलंस जोन में कोई हॉर्न नहीं बजाया जाएगा। इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए पूरे राज्य में मोटरसाइकिलों पर साइलेंसर लगे हों। साथ ही, जष्न में फायरिंग व षराब, मादक पदार्थ और हिंसा को बढावा देने वाले गानों पर भी रोक लगाने के लिए कहा गया है।
उन्होने बताया कि न्यायालय के आदेशानुसार किसी को भी मेलों, धार्मिक जुलूस, विवाह समारोह और अन्य सार्वजनिक समारोह में या किसी भी शैक्षणिक संस्थान के परिसर के भीतर आग्नेयास्त्र ले जाने की अनुमति नहीं होगी। पुलिस ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे कोर्ट के आदेषों की अनुपालना में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच जन संबोधन प्रणाली के इस्तेमाल से बचें।